अफगानिस्तान में रहने वाली भारतीय मूल की लेखिका 49 वर्षीय सुष्मिता बनर्जी की काबुल में आतंकवादियों ने गोली मारकर हत्या कर दी, इसके बाद साहित्य से जुड़े लोगों ने कड़े शब्दों में निंदा की है।
पुलिस के मुताबिक, सुष्मिता की पक्तिका प्रांत में उनके घर के बाहर हत्या की गई। उन्होंने अफगान कारोबारी जांबाज खान से शादी की थी और उनके साथ रहने के लिए वह हाल ही में अफगानिस्तान पहुंची थीं, उनके पति अफगान मूल में ही कारोबार करते हैं।
दरअसल, सुष्मिता अफगानी महिलाओं के उत्थान के लिए जो काम कर रही थीं, वो तालिबान को पसंद नहीं था। इससे पहले 1995 में सुष्मिता ने अफगान महिलाओं के ऊपर एक किताब लिखी थी ‘काबुलीवालार बंगाली बोउ’ (काबुलवाले की बंगाली पत्नी), जो काफी प्रसिद्ध हुई थी। इसके बाद इस किताब पर एक फिल्म भी बनने वाली थी। इस हत्या से ये साबित हो जाता है की तालिबानी सुष्मिता द्वारा वहां किये जा रहे सामजिक कार्यों से नाखुश थे।
पुलिस के हवाले से खबर मिली है कि तालिबानी आतंकवादी प्रांतीय राजधानी खाराना में उनके घर पहुंचे और उनके पति और परिवार के दूसरे सदस्यों को बांध दिया। इसके बाद उन्होंने सुष्मिता को घर से बाहर निकालकर उन्हें गोली मार दी। पुलिस का कहना है कि वह सुष्मिता के शव को एक मदरसे के पास फेंक गए। अब तक किसी आतंकवादी संगठन ने उनकी हत्या की ज़िम्मेदारी नहीं ली है।