भाटी ने एसडीएम के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का भी प्रयोग किया। वह यह बोलने से भी नहीं चुके कि कैसे उन्हें बड़े अधिकारियों ने फोन पर एसडीएम दुर्गा
शक्ति के सस्पेंड की सूचना दी थी। उन्होंने कहा, 10:30 बजे माननीय अखिलेश जी से बात की और 11 बजकर 11 मिनट पर एसडीएम का सस्पेंशन ऑर्डर यहां कलेक्टर के पास पहुँच गया। यही है लोकतंत्र की ताकत। मैं यही आप लोगों को बताने आया हूं कि जिस औरत ने इतनी बेहूदगी दिखाई वह उस डंडे को 40 मिनट भी नहीं बर्दास्त कर पाई, और सिर्फ 41 मिनट में सस्पेंशन का ऑर्डर लखनऊ से पास होकर यहां यहाँ आ गया।
नरेन्द्र भाटी ने बताया कि सिर्फ 41 मिनट में लखनऊ से एसडीएम दुर्गा शक्ति का सस्पेंशन ऑर्डर टाइप होकर कलेक्टर के पास पहुंच गयाए और उस औरत (दुर्गा शक्ति) को 11 बजकर 11 मिनट पर पता लग गया कि वह सस्पेंजड हो गयी है।
नरेन्द्र भाटी ने लोकतंत्र कि दुहाई देते हुए आगे कहा कि अगर कोई अच्छा काम करे तो उसे धन्यवाद भी करना चाहिए और अगर कोईए ख़राब काम करे तो उसे दंड भी मिलना चाहिएए यही लोकतंत्र की परंपरा है। यह लोकतंत्र की महिमा है। इसी से लोकतंत्र जिन्दा रहेगा। यदि हम कोई गलती करें तो हमें टोक दो, टोकने के सैकड़ों तरीके होते हैं।
हालांकि, IAS दुर्गा नागपाल के निलंबन को लेकर भले ही लखनऊ से लेकर दिल्ली तक बवाल मचा है, लेकिन यूपी की सरकार को लगता है कि दुर्गा को हटाकर उन्होंने कोई गलती नहीं की है। अखिलेश यादव ने IAS दुर्गा को हटाने की कार्रवाई जिस रिपोर्ट पर की है वो रिपोर्ट एलआईयू यानी लोकल इंटेलीजेंस यूनिट ने दी थी। इस यूनिट के मुखिया इंस्पेक्टर स्तर के अधिकारी होते हैं जो जिले के एसएसपी को अपनी रिपोर्ट देते हैं, जबकि जिले के मुखिया यानी कलेक्टर की रिपोर्ट दुर्गा को क्लीन चिट दे रही है।
उधर डीएम की रिपोर्ट के मुताबिक ग्रेटर नोएडा के कादलपुर गांव में मस्जिद की दीवार दुर्गा नागपाल ने नहीं गिरवाई। डीएम के मुताबिक अवैध निर्माण को लेकर दुर्गा ने गांव वालों से बातचीत कर विवाद को सुलझा लिया था, जिसके बाद दीवार गांव के लोगों ने ही गिराई थी। इस काम में न तो जेसीबी का और ना ही किसी बड़ी मशीन का इस्तेमाल हुआ।
अब डीएम की रिपोर्ट और नरेंद्र भाटी के इस तरह से दुर्गा के सस्पेंशन पर बोलना और उनके दावों के बाद इस आरोप में दम दिखाई देने लगा है कि दुर्गा को यूपी में रेत माफिया के खिलाफ कार्रवाई करने के कारण सस्पेंड किया गया। सूत्रों के मुताबिक़ मिली जानकारी के अनुसार बताया जा रहा है कि समाजवादी पार्टी के कुछ नेताओं के हित रेत माफियाओं से जुड़े हुए हैं।