पाकिस्तान में करीब 50 मुस्लिम उलेमाओं ने संयुक्त रूप से फतवा जारी कर आतंकवादी संगठन तहरीक-ए-तालिबान को इस्लाम से निष्कससित करने का फरमान सुनाया है। पाकिस्तान में इस संगठन को पाकिस्तानी तालिबानी के नाम से भी जाना जाता है। यह आतंकी संगठन अफगानिस्तान में करजई सरकार और अमेरिका के खिलाफ सक्रिय तालिबान से अलग है। उलेमाओं की ओर से जारी फतवे में कहा गया जा सकता है और न ही जायज ठहराया जा सकता है।
सुन्नी मुसलमानों के सबसे बड़े संगठन सुन्नी इत्तेहाद काउंसिल की ओर से मंगलवार को जारी किए गए फतवे में पाकिस्तानी तालिबान को ख्वारिज का नाम दिया है जिसका मतलब होता है इस्लाम से निकाला गया। 50 उलेमाओं की ओर से यह फतवा इस काउंसिल के मुखिया साहिबजादा हामिद रजा की अपील के बाद जारी किया गया। उलेमाओं के मुताबिक मस्जिदों, मजारों, अस्पतालों, कब्रिस्तानों, शिक्षण संस्थाओं, सुरक्षा बलों और बाजारों पर हमला करना जिहाद नहीं बल्कि आतंकवाद है।
फतवे में आत्मघाती हमलों को हराम करार देते कहा गया है कि विदेशी मेहमानों की हत्या करना घृणित काम है। ज्ञात हो कि हाल में पाकिस्तान में 11 विदेशी पर्यटकों की हत्या कर दी गई थी। फतवे में पढ़ने जाने वाली लड़कियों पर किए जाने वाले हमलों का जिक्र करते हुए कहा गया है कि जो स्कूली लड़कियों का खून बहा रहे हैं वे इस्लाम के साथ-साथ देश के भी दुश्मन हैं।
सुन्नी इत्तेहाद काउंसिल ने सरकार से मांग की है कि चरमपंथी विचारों को बढ़ावा देने वाले मदरसों के पाठ्यक्रम की छानबीन की जानी चाहिए। पाकिस्तानी तालिबान के सफा, के लिए सुन्नी उलेमाओं ने देश के हर नागरिक से सरकार का साथ देने का आश्वासन देते हुए कहा है कि इस खतरनाक संगठन के खिलाफ कार्रवाई में सरकार की सहायता करना हर नागरिक का धार्मिक कर्तव्य है।
फतवे में पाकिस्तानी तालिबान के हाथों मारे गए सैनिकों अंतराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन के साथ-साथ निर्दयता भी करार दिया गया है।