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नई पेंशन को शिक्षकों की लामबंदी शुरू

 

4 - Copyइलाहाबाद:  प्रदेश के 40 जिलों के शिक्षक व कर्मचारियों को नई पेंशन नीति का लाभ देने का निर्णय राज्य सरकार ने लिया है लेकिन शेष जिलों का मामला अधर में लटका है। इससे वहां के शिक्षकों-कर्मचारियों में असमंजस की स्थिति है।

इसको लेकर लामबंदी शुरू हो गई है। जून में विधान सभा भवन के घेराव का निर्णय लिया गया है।

लंबे संघर्ष के बाद शासन ने अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षक व शिक्षणेतर कर्मचारियों को नई पेंशन योजना का लाभ देने का निर्णय लिया। मई माह के अंत में पेंशन की कटौती भी शुरू हो जाएगी। इससे प्रदेश के 40 जिलों के एक अप्रैल 2005 के बाद भर्ती हुए सवा लाख से अधिक शिक्षक व कर्मचारी लाभांवित होंगे। शासन के फैसले से लाभ पाने वाले शिक्षक व कर्मचारी जहां खुश हैं वहीं बचे जिलों के शिक्षक व कर्मचारियों ने लामबंदी शुरू कर दी है। नई पेंशन के लिए वे माध्यमिक शिक्षा के वित्त नियंत्रक से मुलाकात करने के साथ विधान भवन का घेराव करने वाले हैं।

नवपरिभाषित अंशदान पेंशन योजना के तहत वेतन व महंगाई भत्ते का दस प्रतिशत धनराशि का मासिक अंशदान शिक्षक व कर्मचारियों द्वारा किया जाएगा, उतना ही अंशदान राज्य सरकार देगी। सेवानिवृत्त होने पर लाभार्थी को पूरी धनराशि का 60 प्रतिशत एकमुश्त मिलेगा। जबकि 40 प्रतिशत का निवेश किसी मान्यता प्राप्त बीमा कंपनी से एक पालिसी क्रय करने में होगा, जिससे उन्हें पेंशन मिलेगी। लाभांवित होने वालों में इलाहाबाद, मेरठ, वाराणसी, गाजीपुर, हाथरस, फतेहपुर, प्रतापगढ़, उन्नाव, गोरखपुर, झांसी, महोबा, रायबरेली, सीतापुर, आजमगढ़, बांदा, आगरा, गाजियाबाद, उन्नाव, गोरखपुर, गोंडा, सुल्तानपुर, सीतापुर सहित प्रदेश के 40 जिले के शिक्षक व कर्मचारी शामिल हैं।

शेष जिलों के शिक्षकों-कर्मचारियों ने संघर्ष करने का निर्णय लिया है। शिक्षक नेता डॉ. शैलेश कुमार पांडेय कहते हैं प्रदेश के सारे शिक्षकों व शिक्षणेतर कर्मचारियों को नई पेंशन का लाभ दिलाने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष जंगबहादुर सिंह पटेल व कोषाध्यक्ष जगदीश प्रसाद ने भी बचे जिलों में नई पेंशन लागू करने की वकालत की।

वहीं वरिष्ठ शिक्षक नेता अजय कुमार सिंह ने कहा कि जब तक प्रदेश के सारे जिलों में कार्यरत शिक्षकों व शिक्षणेतर कर्मचारियों को नई पेंशन योजना का लाभ नहीं मिलता हमारी लड़ाई जारी रहेगी। इसको लेकर जून माह के प्रथम सप्ताह में लखनऊ में विधान भवन का घेराव होगा, वहीं आगे के आंदोलन की रणनीति तैयार करके जिला स्तर पर संघर्ष छेड़ा जाएगा।