नई दिल्ली: मोदी सरकार मंगलवार को राज्यसभा में तीन तलाक बिल पेश करने जा रही है। भाजपा ने इसके लिए तीन लाइन का व्हिप जारी कर अपने सभी सांसदों को सदन में मौजूद रहने का निर्देश दिया है।
लोकसभा पहले ही इस विधेयक को मंजूरी दे चुकी है। यह विधेयक पिछली लोकसभा में भी पारित हुआ था पर राज्यसभा ने इसे लौटा दिया था। सरकार कुछ बदलावों के साथ यह बिल दोबारा लेकर आई है।
इसके लिए विपक्षी दलों को मनाने की कोशिश जारी है। खबरों के मुताबिक अनुसार कम से कम 4 केंद्रीय मंत्री और दो वरिष्ठ राज्यसभा सांसदों ने गठबंधन और विपक्षी दलों से तीन तलाक बिल पर बात की है।
खबरों के अनुसार इस विधेयक पर मतदान के दौरान जनता दल यूनाइटेड, तेलगु देशम पार्टी, तेलंगाना राष्ट्र समिति, वाइएसआर कांग्रेस के सांसद अनुपस्थित रह सकते हैं।
25 जुलाई को लोकसभा में तीन तलाक विधेयक पर विचार कर इसे पारित करने के लिए पेश करते हुए केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने लैंगिक न्याय के लिए तीन तलाक विधेयक को जरूरी बताया था। इस विधेयक में तीन तलाक के मामलों में पति को तीन साल जेल की सजा का प्रावधान रखा गया है।
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के 2017 के फैसले का हवाला देते हुए कहा था कि तीन तलाक जैसे गैरकानूनी मामलों पर रोक लगाने के लिए न्यायालय ने संसद से इस मुद्दे पर एक कानून लाने के लिए कहा था। इसके साथ मंत्री ने विवाहित मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा और तीन तलाक पर रोक लगाने के लिए मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2019 पेश किया था।