राजनीति और आतंकवाद, “हर शाख पे उल्लू बैठा है, अंजामें हिंदुस्तां क्या होगा”?

politics-and-terrorism-resizedहर शाख पे उल्लू बैठा है, अंजामें हिंदुस्तां क्या होगा? यह हम बचपन से सुनते आये हैं यह…. जैसे – जैसे हम बढ़ते गये ऐसा लगा की शाखों पर उल्लूओं की संख्या भी बढ़ती गई और अब आलम यह हो गया है की इन उल्लुओं के लिए शाखें भी कम पड़ती जा रही है

हिन्दुस्तान में बढ़ते आतंकवादी और आतंकवाद ने यह साबित कर दिया है कि चाहे जो हो जाए हिन्दुस्तान जब तक उल्लूओं के हाथ में है  ऐसे में  हमें अब आतंकी और आतंकवाद की आदत हो जानी चाहिए।

अब तो जब ऐसी किसी दुर्घटना की खबर मिलती है तो बस एक ही बात जुबान से निकलती है… ओह फिर से यह हो गया। हम सभी को अब तक पता लग जाना चाहिए कि पूरी दुनिया में आतंकवादियों को इससे सुरक्षित ज़मीन कही नहीं मिलेगी जहाँ पर इतनी आसानी से 100, 200 लोगों की जान लेने में कोई दिकत नहीं आती है।

सच मानिए, ये हमले अभी बंद नहीं होंगे और यह भी कह सकते है की शायद कभी बंद नहीं होंगे। हिन्दुस्तान  की सरकार को भी यह पता है कि इन आतंकी हमलों से होगा क्या??? कुछ लोगों की जान जएगी 100 या 200 लोगों के परिवारों पर कहर टूटेगा बाकी तो बचे ही रहेंगे। हमारे सरकार की गणित बहुत पक्की है, बात यही है कि हिन्दुस्तान की सरकार को यह अच्छी तरह मालूम है और इस बात की तसल्ली भी है कि हमारे पास मरने के लिए बहुत लोग हैं फिर चिंता किस बात की है। यह हिन्दुतान की बदकिस्मती ही है क्योकि यहां आतंकवाद से निपटने की रणनीति भी अपने चुनावी समीकरण के हिसाब से ही तय की जाती है।

वाह री सरकार या उल्लूओं की फौज़ कहे धिक्कार है तुझपर। अब क्या कहें, सरकार चलाने वालो को, सरकार चाहे कोई भी आ जाये, आतंकवाद हमारी नियति बन गई है। यह तो हम केवल भूमिका देख रहे हैं अगर यह सब ऐसे ही चलता रहा तो बहुत जल्द हम पर और बड़ी विपत्तियां आने वाली हैं। क्योंकि 2020 तक हिन्दुस्तान के महाशक्ति बनने का सपना देख रहे इस देश की हुकूमत चंद कायर और सत्ता के लिए तानडव कर रहे नपुंसक कर रहे हैं।