उत्तर प्रदेश : देश में किसानों को लेकर हमेशा हमारी सरकार चर्चे ही करती नज़र आती है, यहाँ किसानों की समस्याओं को लेकरबस नेताओं के बड़े –बड़े भाषण ही सुनने को मिलते है और इनके लिए बनी योजनाये हमेशा सरकारी फाइलों में ही कैद होकर रह जाती है। ऐसी ही इस्थिति इन दिनों किसानों को आर्थिक समस्यां की ओर ले जा रही है। क्रय केंद्रों पर ताला लटका लटका होने से किसान अपने धान की फसल औने-पौने दामों पर व्यापारियों के हाथों बेचने को विवश हैं। इससे धान की लागत भी निकलनी मुश्किल हो गई है।
उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में इस समस्याओं से परेशां किसान इधर-उधर भटक रहा है। लेकिन उसकी सुधि लेने वाले जिम्मेदार अधिकारियों का पता नहीं चल रहा है। जबकि डीएम ने क्रय केंद्रों के निरीक्षण के लिए अधिकारियों की फौज लगा रखी है। बावजूद इसके क्रय केंद्र संचालकों पर किसी भी कार्रवाई का भय नहीं दिख रहा है। यही नहीं, जहां केंद्र खुले भी वहां किसानों के धान को दागी बताते हुए वापस कर दिया जाता है।
जिले में समर्थन मूल्य योजना के तहत 59 क्रय केंद्र खोले गए हैं। इनमें पीसीएफ 39, खाद्य विभाग के तीन, यूपीएसएस के 16 व भारतीय खाद्य निगम का एक क्रय केंद्र शामिल हैं। इन केंद्रों पर कहीं ताला लटका है तो कही पर बोरों पर गांठें नहीं खुल सकी है। जो केंद्र खुले भी हैं वहां किसानों के धान को दागी बताकर बैरंग वापस कर रहे हैं।
किसान मजबूरी में अपना धान व्यापारियों को हजार रुपए में बेचने को विवश हैं। जबकि सरकार ने समर्थन मूल्य के तहत किसानों को 1360 रुपए का भुगतान किए जाने का निर्देश दे रखा है। लेकिन किसानों के धान को दागी बताते हुए उन्हें वापस कर दिया जाता है।