इसी के साथ यूसी सेन डियागो के इंस्टिट्यूट फॉर न्यूरल कंप्यूटेशन में शोधकर्ता मेरियन बार्टलेट ने कहा कि कंप्यूटर मशीन चेहरे के भावों की उन खास विशेषताओं को भी पहचान सकती है, जिसे पहचानने में मानवों से भी भूल हो सकती है।
यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो के एरिक जैकमैन इंस्टिट्यूट ऑफ चाइल्ड स्टडी के शोधकर्ता कांग ली ने कहा कि मानवों से चेहरे के नकली भावों और असली भावों के बीच फर्क करने में भूल हो सकती है। लेकिन कंप्यूटर मशीन की चेहरे के भाव पढ़ने की क्षमता इंसानों से कहीं बेहतर है।
शोधकर्ताओं की टीम ने पाया कि ज्यादातर मामलों में इंसानी चेहरे के असली और बनावटी भावों के बीच फर्क नहीं कर पाते और ट्रेनिंग दिए जाने के बाद भी सिर्फ 55 परसेंट मामलों में ही इंसानी चेहरे के भाव को ठीक से समझ पाते हैं। जबकि कंप्यूटर मशीन चेहरे के भाव पहचानने में 85 फीसदी सही साबित होती है।