उनके मुताबिक़ हमारी अर्थव्यवस्था जिस तेजी से बढ़ रही है, आयात मांग भी उसी अनुसार अधिक रहना तय है, ऐसे में हमें व्यापार घाटा कम करने के लिए निर्यात बढ़ाना ही होगा। वहीँ मोहंती का यह कहना है कि इस समय जो वैश्विक अर्थव्यवस्था में नरमी है उसको देखते हुए निर्यात को बढ़ाना कठीन हो सकता है।
उन्होंने यह भी कहा कि भारत में पूंजी प्रवाह में उतार-चढ़ाव काफी देखा जा रहा है, इन हालातों में चालू खाते के घाटे की भरपाई देश के लिए एक भरी चुनौती बन गई है। इस समय भारत के चालू खाते में आये घाटे का एक मुख्य कारण सोने का आयात है। पिछले वित्त वर्ष 2012-13 की अक्तूबर-दिसंबर तिमाही में चालू खाते का घाटा रिकॉर्ड 6.7 प्रतिशत पर चला गया है।
देश में बने उच्च घाटे के इन हालातों को देखते हुए, रिजर्व बैंक के एक अधिकारी का कहना है कि, इस संदर्भ में दक्षिण एशियाई देशों के बीच व्यापार तथा वित्तीय समन्वय की काफी गुंजाइश है, जिससे सभी पक्षों को फायदा हो सकता है।