लखनऊ। एमबीबीएस की पढ़ाई में अपनी योग्यता का लोहा मनवानी वाली शहर की बेटी डॉक्टर वन्दना गौतम को दलित रत्न सम्मान से नवाजा गया है । यह सम्मान अम्बेडकर महासभा द्वारा दिया गया है। इस दौरान वरिष्ठ पत्रकार संतोष कुमार बाल्मीकी और रंगमंच नायक श्याम कुमार को भी यह सम्मान दिया गया।
शुक्रवार को देश के संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर के परिनिर्वाण दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम में डॉक्टर बन्दना गौतम को दलित रत्न सम्मान से सम्मानित किया गया। डॉक्टर वन्दना गौतम ने किंग जोर्ज मेडिकल कॉलेज से चिकित्सा शिक्षा में कीर्तिमान स्थापित करते हुए एमबीबीएस में रिकॉर्ड तोड़ सत्रह गोल्ड मेडल सहित अट्ठारह मेडल जीते थे।
अत्यन्त सामान्य परिवार में जन्मी चहुमुखी प्रतिभा की धनी डॉक्टर वन्दना को यह सम्मान देते हुए अम्बेडकर महासभा के अध्यक्ष डॉक्टर लालजी निर्मल ने कहा कि वन्दना ने सम्पूर्ण दलित समाज को गौरवान्वित किया है। इस दौरान वरिष्ठ पत्रकार संतोष कुमार बाल्मीकी और रंगमंच पर दलितों के दर्द से रूबरू कराने वाले रंगकर्मी श्याम कुमार को भी दलित रत्न सम्मान से नवाजा गया। पत्रकार संतोष बाल्मीकी ने कहा कि वह इस सम्मान को अपनी मां को समर्पित करते है जिसने विपरीत परिस्थितियों में भी उनको उच्च शिक्षा दिलाई।
इस अवसर पर प्रख्यात लेखक मुद्रा राक्षस ने अपने सम्बोधन में कहा कि डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर केवल दलितो और पिछड़ों के लिए ही कार्य नहीं किया अपितु देश के इतिहास को विश्व इतिहास के समक्ष रखा। कार्यक्रम की शुरूआत अम्बेडकर महासभा में स्थापित बाबा साहब अम्बेडकर के अस्थि कलश पर पुष्पांजली अर्पित कर की गई। इस दौरान गीतकार आरडी गौतम और कमला शंकर ने भीम गीत प्रस्तुत किया।
आमंत्रित अतिथियों ने अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में कार्यकारी सचिव रामचन्द्र पटेल, राष्ट्रीय भागीदारी आन्दोलन के संयोजक सुरेश चन्द्र गौतम , नगर प्रमुख डॉक्टर दिनेश शर्मा, डॉक्टर अम्मार रिज़वी, प्रोफेसर राम नरेश चैधरी, डाक्टर बच्चू लाल, केके बत्स, पईष सार, डॉक्टर सत्या दौहरे, जगत नारायण, ईश्वरी लाल, डाॅक्टर देवी सिंह अशोक, इंजीनियर प्रमोद कुमार सरोज, बीरेन्द्रमार मौर्य, मधु वर्मा,शीला वर्मा, सहित भारी संख्या में लोग उपस्थित रहे।
गरीबों का दर्द दूर करेगी डॉक्टर बिटिया
दलित रत्न सम्मान से नवाजी गई डॉक्टर बिटिया वंदना गौतम कहती है कि वे चिकित्सा में और उच्च शिक्षा हांसिल करेगी और समाज की सेवा करेगी। वंदना कहती है कि उन्हांेने कभी मेडल जीतने के लिए पढ़ाई नहीं की। वे हमेशा सोचती थी कि वह अपनी पढ़ाई से गरीबों को क्या देंगी। वन्दना कहती है कि वह गरीब मरीजों का मुफ्त इलाज करेगी। वन्दना अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को देती है। वन्दना भीमराव अम्बेडकर को अपना प्रेरणा स्त्रोत मानती हैं।