लंबे समय से बीमार चल रहे मशहूर गायक मन्ना डे का आज तड़के निधन हो गया है। सुबह 10 से 12 बजे तक उनका पार्थिव शरीर प्रशंसकों के दर्शन के लिए रवींद्र कला केंद्र रखा जाएगा और उसके बाद अंतिम संस्कार होगा। अस्पताल के एक वरिष्ठ डॉक्टर ने बताया कि 94 वर्षीय मन्ना डे को पांच माह पहले सांस संबंधी समस्याओं की वजह से नारायण हृदयालय में भर्ती कराया गया था। उन्होंने आज तड़के 3 : 50 मिनट पर अंतिम सांस ली।
उनके परिवार के सदस्यों ने बताया कि अंतिम समय में मन्ना डे के पास उनकी पुत्री शुमिता देव और उनके दामाद ज्ञानरंजन देव मौजूद थे। मन्ना डे की दो बेटियां हैं। एक बेटी अमेरिका में रहती है। उनके दामाद ने बताया, उनके निधन से हम सब बेहद दुखी हैं। अंतिम समय में उन्हें कोई तकलीफ नहीं हुई। उनका अंतिम संस्कार आज दिन में किया जाएगा।
1 मई 1919 को कोलकाता के एक बंगाली परिवार में जन्मे मन्ना डे ने अपने करियर में 4000 से ज्यादा गाने गाए। मन्ना डे ने 1942 में फिल्म तमन्ना से अपने करियर की शुरुआत की। इस फिल्म में उन्होंने सुरैया के साथ गाना गाया था जो काफी चर्चित रहा।
मन्ना डे को हरफनमौला गायक भी कहा जाता है। मन्ना डे को संगीत के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। ‘दादा साहेब फाल्के’ पुरस्कार से सम्मानित मन्ना डे ने पाश्र्व गायक के रूप में अपना करियर 1940 के दशक में शुरू किया था। उन्होंने अपने गायन करियर में अब तक 3,500 से ज्यादा गाने गाए हैं। हिंदी फिल्मों के अलावा उन्होंने बांग्ला, गुजराती, कन्नड़, मलयालम और असमिया भाषा में गीत गाए हैं।
मन्ना डे ने लोकगीत से लेकर पॉप तक हर तरह के गाने गाए और देश विदेश में संगीत के चाहने वालों को अपना मुरीद बनाया। काबुलीवाला का ‘ए मेरे प्यारे वतन’ और आनंद का ‘ज़िंदगी कैसी है पहेली हाय’ आज भी संगीतप्रेमियों के दिल को छू जाता है। उन्होंने हरिवंश राय बच्चन की मशहूर कृति ‘मधुशाला’ को भी आवाज दी।
इसके अलावा ‘पूछो न कैसे मैंने रैन बिताई’, ‘लागा चुनरी में दाग़’, ‘आयो कहां से घनश्याम’ ‘सुर न सजे’, ‘कौन आया मेरे मन के द्वारे’, ‘ऐ मेरी जोहर-ए-जबीं’, ‘ये रात भीगी-भीगी’, ‘ठहर जरा ओ जाने वाले’, ‘बाबू समझो इशारे’, ‘कसमे वादे प्यार वफा’ जैसे गीत भी काफी पंसद किए गए।
उन्हें 1971 में पद्मश्री और 2005 में पद्म विभूषण से नवाजा गया। 2007 में उन्हें भारतीय सिनेमा के प्रतिष्ठित दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्होंने हिंदी, बंगाली समेत मराठी, गुजराती, मलयालम, कन्नड और असमिया में भी गाने गाये। मन्ना डे का असली नाम प्रबोध चंद्र डे है।