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बीमारी बाँट रहे है दिल्ली के सरकारी अस्पताल

ssssssssssssssssssssssssनई दिल्ली : केंद्र सरकार के एम्स, सफदरजंग और आरएमएल अस्पताल बेहतर इलाज के लिए देश भर में जाने जाते हैं। लेकिन आरएमएल अस्पताल से थोड़ी ही दूरी पर स्थित लेडी हार्डिग मेडिकल कॉलेज के अस्पताल गंदगी व संक्रमण की मार झेल रहे हैं। अस्पताल में मरीज ठीक हो या न हों, यहां की बदहाली बीमारी जरूर बांट सकती है।

दशकों तक उपेक्षित इस अस्पताल की केंद्र सरकार ने सुध ली भी तो इसे पुनर्विकसित करने की रफ्तार सुस्त है। ऐसे में मरीजों को यहां आए दिन असुविधाओं से दो-चार होना पड़ता है। मेडिकल कॉलेज में दो अस्पताल हैं, जिनमें सुचेता कृपलानी व बच्चों के लिए कलावती शरण अस्पताल शामिल हैं। दिल्ली के किसी भी अस्पताल में शायद ही यहां की जैसी बदतर स्थिति हो।

आलम यह है कि अस्पताल में जगह-जगह सीवर का कचरा पड़ा है। सुचेता कृपलानी अस्पताल के अंदर ओपीडी के पास जगह-जगह सीवर का कचरा पड़ा है। जबकि इसी जगह पर मरीज व तीमारदार उपचार के लिए अपनी बारी का इंतजार करते हैं। सफाई का ऐसा बदहाल नजारा अस्पताल की व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रहा है। इस पूरे मामले पर कॉलेज प्रशासन ने कुछ भी कहने से इन्कार कर दिया।

यहाँ के कलावती शरण अस्पताल में एक स्ट्रेचर पर दो बच्चों को जांच के लिए ले जाया जाता है। यह स्वास्थ्य मानकों के अनुरूप नहीं है। एक्स-रे रूम के बाहर ऐसा ही नजारा दिखा। नोएडा के दादरी से आठ महीने के बच्चे को इलाज के लिए लेकर पहुंचे सलमू ने बताया कि बच्चे को चार दिन से होश नहीं है। डॉक्टर यहां-वहां दौड़ा रहे हैं।

पुलिस की तरह तफ्तीश कर रहे हैं कि नोएडा में क्यों नहीं दिखाया। उन्हें इन सवालों का जवाब दूं या बच्चे का इलाज कराऊं। स्ट्रेचर पर सलमू के साथ एक अन्य लड़का भी लेटा था। लड़के के साथ पहुंची महिला गीता ने बताया कि वह उत्तर प्रदेश के बदायूं की रहने वाली है और एक्सरे कराने के लिए काफी समय से इंतजार कर रही है। पानी के लिए भटक रहे तीमारदार

अस्पताल में तीमारदार पानी के लिए भटकने को मजबूर हैं। एक जगह आरओ मशीन लगी है, वहां तीमारदार पानी के लिए जद्दोजहद करते दिखे। समय पर तैयार नहीं होगा नया भवन लेडी हार्डिग मेडिकल कॉलेज के पुनर्विकास के लिए भवनों का निर्माण कार्य चल रहा है। 586 करोड़ की लागत से पहले चरण का काम चल रहा है, इसमें से 471 करोड़ रुपये निर्माण कार्य पर खर्च होने हैं। पहले फेज के अंतर्गत अस्पताल में ओपीडी, इमरजेंसी, रेडियोथेरेपी, प्रशासनिक ब्लॉक आदि का निर्माण किया जा रहा है। इसे सितंबर तक तैयार होना है लेकिन ऐसा लगता है कि जिस गति से काम चल रहा है, ऐसी स्थिति में यह अगले साल भी तैयार नहीं हो पाएगा।