बिहार : जम्मू-काश्मीर और झारखंड में बीजेपी परचम लहरते ही, अब बिहार में भी चुनावी बयार की अंगड़ाइयां करवट बदलने लगी है। राजनीतिक गलियारों की सभी पार्टियों में भी चुनावी गणित शुरू होने लगी है।
जद(यू) और राजग के विच्छेद होने के बाद भारतीय जनता पार्टी ने,मुस्लिम बहुल क्षेत्र होने के मद्देनज़र, इस सीमांचल के किशनगंज और पूर्णियां को मुस्लिम प्रत्यासी दिया था। इस बार भी इसका प्रयोग इसी सीमांचल में,फारबिसगंज और सिकटी विधानसभा सीट के लिए, होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है,क्योंकि जिस प्रकार नरेंद्र मोदी ने बिहार बीजेपी में पच्चीस प्रतिशत सीट मुस्लिम को देने की बात भी कही है, से स्पष्ट है कि,पुरे बिहार में अररिया जिला भी मुस्लिम बहुल क्षेत्र है जिसका समीकरण यादवों के साथ मिलकर ”माई समीकरण”के रूप में प्रभावी है।
देश-विदेश सहित पूरी दुनियां को जिस प्रकार मोदी ने अपने कुशल व्यवहार का दीवाना बना रक्खा है,के मद्देनज़र बिहार विधान सभा चुनाव को लेकर भी, बिहार को कुछ अच्छी सौगात देने में नरेंद्र मोदी शायद कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। हमेशा से बिहार में जातीय समीकरण चुनावी गणित का खास आधार रहा है,जिसको ध्यान में रखते हुए बीजेपी ने भी अन्य पार्टियों की तरह मुसलामानों को सबसे ज्यादा तवज्जु देने में लगी है।
शायद इसलिए बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी दूसरे राज्यों से गहरे पैठ वाले मुश्लिम नेताओं को यहाँ उमीदवार के रूप में उतरने की तैयारी में जुट गयी है, जिसके अंतर्गत बिहार अररिया जिला के प्रमुख विधानसभा क्षेत्र फारबिसगंज से मंजर खान की चर्चा इन दिनों जिस प्रकार जोरों पर है,इससे लगता है कि बीजेपी ने भी अब मुसलमान वोट को अर्जित करने के लिए मंजर खान जैसे बीजेपी के ख़ास चुनिंदे नेता को बिहार में दाव के रूप में,चुनावी पेंच लगाना आरम्भ कर दिया है।
हाँलाकि मंजर खान इसी नरपतगंज के पुलहा निवासी है,जिसका संबंध गोवा और कर्नाटका में बीजेपी के पुराने और सक्रीय नेता रहे मनोहर परिकर से है, जो वर्तमान में दूसरी बार गोवा के मुख्यमंत्री बने हैं, जिन्हें अब मोदी ने मापने मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया है। साथ ही वे बीजेपी के ही सबसे बड़े धुरंदर व जाने-माने राष्ट्रीय नेता मुख्तार अब्बास नकवी के भी ख़ास बताये जाते हैं।इस प्रकार बीजेपी के ही पूर्व केंद्रीय मंत्री सैयद शाहनवाज़ के छोटे भाई सरफराज और कई मुश्लिम नए चेहरे को बीजेपी, इस बिहार बिधान सभा चुनाव में उतारने का एक और नया दाव खेलने में दिलचस्बी लेती दिख रही है।इस सन्दर्भ में एक नया चेहरा के रूप में उभरे खुद मंज़र आलम खान से राजनीति को लेकर जब यह सवाल किया गया,तो वह कहतें हैं।
”वर्तमान सामाजिक परिपेक्ष के अंतर्गत,राजनीति को ज़ेहद में लाते ही सम्पूर्ण शरीर, दामन पर दाग लग जाने जैसी आशंकाएं मात्र से भयभीत हो सा जाता है।मगर मै अपनी मातृभूमि की सच्ची सेवा करना चाहता हूँ ,आज मै, हमारे पूर्व प्रधान मंत्री माननीय अटल बिहारी वाजपेयी को भारत रत्न मिलने पर गौरवांवित हूँ,कि देश की सेवा ही मातृभूमि की सच्ची सेवा है जिसका पर्याय अटल जी स्वंय है। मै भी अपनी मातृभूमि की सेवा करने हेतु, उनकी प्रेरणा श्रोत बनना चाहता हूँ ”उक्त कथन अररिया जिला के फारबिसगंज पुलहा निवासी मंज़र आलम खान की है।