सुनने में आश्यचर्य लगे लेकिन यह सच है। बिहार के पैसे से देश की राजधानी दिल्ली में प्रथम सार्वजनिक अस्पताल का निर्माण किया गया था। वरिष्ठ पत्रकार कुमुद सिंह के अनुसार पटना ही नहीं दिल्ली में भी दरभंगा के पैसे से अस्पताल बना है।
1916 में लुटियन जोन के अंदर बना पहला सार्वजनिक अस्पताल लेडी हार्डिंग हॉस्पिटल, जो अब लेडी हार्डिंग मेडिकल कालेज व अस्पताल बन चुका है। इसके निर्माण का अधिकतम खर्च तिरहुत के महाराजा रमेश्वर सिंह ने उठाया था। उनके अनुसार 17 मार्च, 1914 को लेडी हार्डिंग ने कॉलेज की नींव रखी थी और फरवरी 1916 में कॉलेज शुरू हो गया था।
तिरहुत के पैसे से बने इस अस्पताल का इतिहास आज भी उतना ही गर्व करने लायक है, जितना इसके स्थापित करते वक्त सोचा गया था। तिरहुत के आखिरी राजा डॉ सर कामेश्वर सिंह को लिखे एक पत्र में ब्रिटिश सरकार ने इस अस्पताल के निर्माण में सहयोग के लिए तिरहुत को आभार प्रकट किया है।
भारत के प्रधानमंत्री का आधिकारिक आवास तीनमूर्ति भवन में लगी तिरहुत महाराजा की तस्वीर में भी इस बात का उल्लेख है कि तिरहुत का शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में सर्वाधिक योगदान रहा है। अब ये अलग बात है कि तिरहुत और बिहार अपने इतिहास को पढना और समझना चाहता ही नहीं है।
कुमुद सिंह कहती हैं कि तिरहुत ने 1916 में इस अस्पताल के निर्माण से पूर्व 1883 में इससे अधिक बेडवाले अस्पताल का निर्माण दरभंगा में किया था, जो उस वक्त बंगाल का दूसरा सबसे बडा अस्पताल था। 1916 से पहले 1912 में दरभंगा मेडिकल स्कूल और पटना मेडिकल कॉलज का निर्माण कराया था। सवाल उठता है कि दिल्ली का वो छोटा सा अस्पताल तो आज मेडिकल कॉलेज है, लेकिन डीएमसीएच और पीएमसीएच जैसी मेडिकल कॉलेज को ट्रामा सेंटर बना कर रख दिया गया है।