म्रीजों को टीबी की दवाई या तो सरकारी अस्पतालों और क्लीनिक से मिलती है या निजी डाॅक्टरों के सलाह पर दी जाती है। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक , करीब 65 फीसदी टीबी के मरीजों को डाॅट प्रणाली से दवा उपलब्ध कराई जा रही है, जबकि बाकी को निजी डॉक्टरों के सलाह के आधार पर केमिस्ट दवा उपलब्ध कराते हैं।
अधिकतर मामलों में इलाज में अनियमितिता सामने आती है और उपचार अधूरा रह जाता है। मौजूदा व्यवस्था के तहत मरीजों को एकसाथ कई दिन की दवा दे दी जाती है। नई व्यवस्था में मरीज को सरकार द्वारा पंजीकरण केंद्रों से रोजाना दवा दी जाएगी।