नई दिल्ली : भारत माता की जय बोलने को लेकर देश में कुछ हिस्सों में चल रहे विवाद के बीच जालोर जिले में एक सकारात्मक पहल सामने आ रही है। 1965 और 1971 में भारत-पाक युद्ध में भारत के खिलाफ युद्ध लड़ने वाले जालोर जिले के थलवाड़ में पाक विस्थापित राजूसिंह सोढ़ा भारत में मिले सुकून के बाद अब गर्व से ‘भारत माता की जय’ बोलते हैं।
उनका कहना है कि हालांकि उनका जन्म आजादी से पूर्व 1937 में नई चौर (उमरकोट) पाकिस्तान (तब भारत) में हुआ था, लेकिन विभाजन ने ऐसी रेखा खींची कि उन्हें पाक में रहने को मजबूर होना पड़ा।
आजीविका के लिए पाकिस्तानी सेना में नौकरी की और 1965 एवं 1971 में भारत के खिलाफ युद्ध भी लड़ा। बकौल राजूसिंह सोढ़ा का कहना है कि पाक सेना में उनकी कौम को हीन भावना से देखा जाता था, लेकिन फिर भी उन्होंने अपने देश से कभी गद्दारी नहीं की। वे दो बार भारत के विरुद्ध युद्ध भी लड़े, लेकिन उन्हें इतना प्रताड़ित किया जाता था कि देश छोडऩे को मजबूर होना पड़ा।
बार-बार तनाव की स्थिति को देखते हुए उन्हें 1979 में पाकिस्तान छोड़ना पड़ा और वे भारत में जालोर जिले के थलवाड़ा क्षेत्र में अपने रिश्तेदारों के पास आ गए। वर्ष 2005 में काफी संघर्ष के बाद उन्हें भारतीय नागरिकता मिल चुकी है और वे अब भारतीय हैं।
राजूसिंह ने बतया कि 1971 के युद्ध के बाद से ही उन्होंने परिवार सहित भारत आने का मानस बना लिया था। तनाव के बीच 1971 में पाकिस्तान छोड़ दिया। जिसके बाद घूमते-घूमते सन 1979 में वे भारत के विभिन्न हिस्सों से होते हुए थलवाड़ पहुुंचे। राजूसिंह का कहना है कि जब पाकिस्तान छोड़ा तो वहां माहौल बहुत ज्यादा खराब था, लेकिन जब भारत पहुंचे तो यहां बहुत अपनापन मिला और आज वे भारत के नागरिक हैं।
80 के पड़ाव पर खड़े राजूसिंह सोढ़ा का कहना है कि उनका बचपन और जवानी पाकिस्तान में बीती, लेकिन वहां हर पल दहशत और चिंता सताती रहती थी कि कब युद्ध हो जाए। वहां के स्थानीय लोगों से भी खतरा सताता रहता था। इस बीच वे अपने परिवार के साथ भारत आ गए और यहीं बस गए।