गोंडा में चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस ट्रेन हादसा कोई साजिश थी या तकनीकी खराबी, इसकी हर एंगल से जांच हो रही है. क्योंकि लोको पायलट ने हादसे के समय धमाके की आवाज सुनी थी. हादसे के बाद साजिश का भी शक जताया जा रहा था. धमाका किस वजह से हुआ है और क्या धमाके में किस चीज का इस्तेमाल हुआ इसकी जांच रेलवे कर रहा था. अब इस धमाके के पीछे का रहस्य सामने आ गया है.
निष्कर्ष कहता है रेल ट्रैक को सही तरीके से नहीं बिछाया गया था और यह ठीक से काम नहीं कर रहा था. लाइन पर आईएमआर दोष का पता चला और दोपहर लगभग 1:30 बजे 30 किमी प्रति घंटे की सीमित गति के लिए सावधानी आदेश जारी किया गया और स्टेशन मास्टर मोतीगंज द्वारा इसे 2:30 बजे प्राप्त किया गया.
आ रही थी खड़-खड़ की आवाज
लोको पायलट के बयान के अनुसार, सेक्शन पर ट्रेन की गति लगभग 80 थी जब उसे एक तेज़ कंपन और “खड़-खड़ ध्वनि” महसूस हुई. संयुक्त नोट में कहा गया है कि इंजीनियरिंग विभाग को सावधानी आदेश प्राप्त होने तक ट्रैक की सुरक्षा करनी चाहिए थी और इसलिए वे दुर्घटना के लिए जिम्मेदार हैं. नोट में एक असहमति भी है जहां अनुभाग का एक अधिकारी निष्कर्षों से सहमत नहीं है.
मालूम हो कि ट्रेन में कुल 22 डिब्बे थे. इनमें से 19 डिब्बे पटरी से उतरे हैं. उन्होंने बताया कि एलएचबी कोच होने की वजह से जान-माल का नुकसान कम हुए है. ट्रेन के कोच एक दूसरे पर चढ़ने के बजाय पलट गए. हादसे में 2 लोगों की मौत हुई है और 31 लोग घायल हुए हैं. ट्रेन एक्सीडेंट में मारे गए लोगों के परिजनों को 10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी. गंभीर रूप से घायलों को 2.5 लाख रुपये और मामूली रूप से घायलों को 50,000 रुपये की राशि देने की घोषणा की गई है.