बोधगया धमाकों के तीन दिन बाद भी जांच जांच एजेंसी खाली हाथ

Bodhgaya-Blastsबिहार के बोधगया धमाकों को तीन दिन हो गये है लेकिन तीन दिन बाद भी जांच किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुँच पाई है, हालांकि एनआईए को कुछ सुराग मिले हैं जो अहम साबित हो सकते हैं। इनमें सबसे अहम हैं तीन फोन नंबर। मौका-ए-वारदात से एनआईए को एक पर्ची मिली जिस पर तीन फोन नंबर लिखे हुए थे। तीन में से दो नंबर काम नहीं कर रहे हैं जबकि एक नंबर धमाके वाले दिन सुबह तक चालू था।

इस बीच, नेताओं के दौरों का सिलसिला जारी है। आज केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी घटना स्थल का दौरा करने जा रहे हैं। शिंदे के साथ गृह सचिव और मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी होंगे। यह दल मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेगा।

इसके अलावा, शिंदे राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ भी इस हमले के सिलसिले में बैठक करेंगे। उधर, बोधगया में हुए आतंकी हमले के बाद बिहार सरकार ने राज्य में एटीएस के गठन का फैसला किया है। एटीएस यानी एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड का मुख्य काम इस तरह के आतंकी हमलों को राज्य में दोबारा होने से रोकना होगा।

इसके अलावा एनआईए को कुछ और कागज के पुर्जे मिले हैं जिन पर उर्दू में कुछ लिखा हुआ है। बुद्ध की बड़ी प्रतिमा के पास मिले कागज पर लिखा है बड़ा बुत। जबकि बौद्ध विहार के पास मिले कागज पर लिखा है ‘इराक वॉर। हालांकि एनआईए इसे जांच को भटकाने की कोशिश के तौर पर ही देख रही है।

हालांकि धमाकों से पहले एक नंबर से ताबड़तोड़ नौ मैसेज भेजे गए। आखिरी मैसेज तड़के 4 बजे भेजा गया। धमाके 5 बजकर 25 मिनट पर शुरू हुए थे । ट्विटर पर ये अपडेट धमाकों के 12 घंटे बाद आया था। ट्विटर के इसी अकाउंट पर एक अपडेट धमाकों के एक रोज पहले भी आया था। 6 जुलाई को आए इस संदेश में मुंबई को निशाना बताया गया था।

बोधगया धमाकों के पीछे किन लोगों का हाथ है यह अभी तक साफ नहीं हो पाया है लेकिन ट्विटर के जरिए धमाकों की जिम्मेदारी ली गई है। इंडियन मुजाहिदीन के ऑफिशल ट्विटर हैंडल का दावा करने वाले इस अकाउंट पर दावा किया गया गया है, ‘नौ धमाके हमने कराए हैं। हमारा अगला निशाना मुंबई है। रोक सको तो रोक लो, 7 दिन बचे हैं।’ एनआईए के एक अधिकारी ने कहा कि जांच एजेंसी यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इस अकाउंट के पीछे कौन लोग हैं। मुंबई में धमाकों की धमकी के बारे में एक सिक्यूरिटी ऑफिसर का कहना है कि इस तरह की अधिकतर आतंकी धमकियां फर्जी ही निकलती हैं, लेकिन फिर भी इसकी जांच की जा रही हैं।