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ठण्ड से मौत होती तो साइबेरिया में कोई जिंदा नहीं बचता – प्रमुख गृह सचिव

 

shiverलखनऊ। मुज़फ्फरनगर दंगो का दंश झेल रहे लोग अभी भी कैम्प् में रहने को मजबूर है। १७ सितम्बर से २० दिसंबर के बीच मुज़फ्फरनगर और शामली के शिविरो में रह रहे ३४ बच्चो की मौत हुई। ये मौतें कैसे हुई इसकी जांच कर रहे कमेटी ने अपनी रिपोर्ट भी राज्य सरकार को सौप दी है।

पर जांच रिपोर्ट में दावा किया गया है कि १ö से १२ बच्चो को छोड़ दे तो और सभी बच्चे राहत शिविरो के बहार इलाज के दौरान मरे है।

मुज़फ्फरनगर और शामली के कुल ५ राहत शिविरो में रह रहे ३४ बच्चो की मौत हो चुकी है। पर राज्य सरकार  अभी भी मामले की लीपा पोती में लगी है. लगातार मर रहे बच्चो की मौत का कारण जानने के लिए मेंरठ मंडल के कमिश्नर की अध्यक्ष्ता में जांच कमेटी भी बनी पर सरकार के प्रमुख सचिव गृह के दिए बयान से साफ़ जाहिर है कि अभी भी सरकार इन मौतो के पर ना तो सरकार के मंत्री और ना ही अधिकारी ज़िम्मेदारी लेने को तैयार है। 

 मजे की बात है ये है कि उत्तर प्रदेश सरकार के प्रमुख गृह सचिव अनिल कुमार गुप्ता ने तो यहाँ तक कह दिया कि ठण्ड से किसी की मौत नहीं होती। अगर ऐसा होता तो साइबेरिया में कोई जिंदा नहीं बचता। जहा तक बच्चो के मरने का सवाल है तो ३४ बच्चो की मौत तो हुई है, पर इनमे से ज्यादातर की मौत शिविर के बाहर इलाज के दौरान हुई है। 

अब बड़ा सवाल ये है कि जो बच्चे शिविरो के बाहर इलाज के दौरान मरे उनकी मौत का ज़िम्मेदार कौन है। और चीफ होम सेक्रेटरी के बयान के बाद प्रदेश की सरकार खुद ब खुद कटघरे में खड़ी होती दिख रही है। क्योकि इन शिविरो में इलाज का पुख्ता इंतजाम नहीं है तभी इन्हे बाहर जाना पड़ा इलाज कराने। इलाज कराने के लिए भले ही बच्चे बाहर ले जाये गए हो पर तबियत ख़राब होने पे वो रह तो राहत शिविर में ही रहे थे। तो क्या इन राहत शिविरो में तमाम सुविधाये मुहैया नहीं है तो बच्चे बीमार हुए

प्रमुख सचिव गृह अनिल कुमार गुप्ता ने दे दिया पर ठण्ड से हई बिमारी और फिर मौत पे वो कुछ नहीं बता पाये। उनका कहना था कि अभी तक करीब २ से ४ मामलो में बच्चो को निमोनिया हुआ था। इसके साथ ही इनका कहना था कि अभी करीब ५०० ऐसे परिवार राहत शिविरो में रह रहे है जिन्हे डर है कि अगर वो घर जाते है उनके साथ कुछ हो सकता है। ऐसे में इनमें विशवास पैदा करने और इन्हे फिर से बसाने की कोशिश की जा रही है । अब कल जांच कमिटी के मेंबर और अध्यक्ष के साथ मुख्या सचिव की बैठक होनी है। जिसमे जल्द से जल्द विस्थापितो को उनके घर भेजने पे विचार होगा।