नई दिल्ली : उरी हमले का बाद भारत द्वारा पाकिस्तान में किये गये सर्जिकल स्ट्राइक के बाद भारत –पाक में युद्ध के बनते माहौल की बाते तो सभी कर रहे है। लेकिन इसी बीच विश्व युद्ध का खतरा भी मंडरा रहा है।
अब यहाँ सवाल ये उठता है कि क्या 21 वीं शदी में विश्व युद्ध हो सकता है। या ये महज कुछ देशों का डर है। इस सवाल का जवाब ढूंढना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि रूसी राष्ट्रपति पुतिन का लग रहा है कि दुनिया तीसरे विश्व युद्ध की तरफ बढ़ रही है। रूस ने अपने सभी अधिकारियों को आदेश जारी कर कहा है कि वे विदेशों में रह रहे अपने करीबियों को तुरंत देश वापस ले आएं। रुस की स्थानीय मीडिया के मुताबिक बड़े नेताओं और शीर्ष अधिकारियों ने बताया है कि ये चेतावनी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के कार्यालय की तरफ से जारी की गई है।
सीरिया बन रहा है तीसरे विश्व युद्ध की वजह
रशियन साइट Znak.com की रिपोर्ट में कहा गया है कि पुतिन ने यह कदम फ्रांस दौरा अचानक रद्द करने के बाद उठाया है। सीरिया संकट लेकर रूस की आलोचना होने पर पुतिन ने यह दौरा निरस्त कर दिया है। वह अगले हफ्ते पेरिस जाने वाले थे। फ्रांस के प्रेसिडेंट फ्रांस्वा ओलांद ने कहा था कि रूस सीरिया में युद्ध अपराधों में लिप्त है।बताया जा रहा है कि ओलांद के बयान के बाद पुतिन ने फ्रांस दौरा रद्द करने का फैसला किया। इस तरह की भी खबरेें आ रहीं हैं कि रूस ने पाेलैंड के साथ लगे बॉर्डर के पास न्यूक्लियर मिसाइल्स तैनात कर दी हैं।
अक्टूबर की शुरुआत में पुतिन के मिनिस्टर्स ने ऐलान किया था कि उन्होंने मास्को के 12 लाख लोगों को सुरक्षित करने के लिए न्यूक्लियर बंकर बना लिए हैं। पूर्व सोवियत लीडर मिखाइल गोर्बाच्येव ने भी कहा है कि रूस और अमेरिका के बीच तनाव बढ़ने से दुनिया एक खतरनाक मोड़ पर पहुंच गई है।
रूस ने किया बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रूस की सेना ने जापान के उत्तर में तैनात अपनी सबमरीन से न्यूक्लियर वॉरहेड ढोने की क्षमता वाले एक रॉकेट का परीक्षण किया है। रूस की मीडिया एजेंसियों के मुताबिक रूस के उत्तर-पश्चिम में स्थित एक घरेलू साइट से भी मिसाइल छोड़ी गई है। एक रिपोर्ट के मुताबिक रूस ने पोलैंड और लिथुवानिया के साथ लगी सीमा पर भी न्यूक्लियर क्षमता वाली मिसाइलों की तैनाती कर दी है। रूस के इस कदम को अंतरराष्ट्रीय समझौतों को तोड़ने वाला बताया जा रहा है। लेकिन सीरिया संकट को लेकर इस बार रूस किसी समझौते के मूड में नहीं दिख रहा। रूस ने हाल में यह भी कहा कि सीरिया को लेकर अमेरिका के साथ तनाव बढ़ने के बीच उसके दो जंगी जहाज भूमध्य सागर में लौट रहे हैं। रूस ने कहा था कि उसने अपनी एस 300 हवाई रक्षा मिसाइल प्रणाली को सीरिया के टारटस स्थित नौसेना केंद्र में भेजा है।
यह है आदेश
रिपोर्ट के मुताबिक, एडमिनिस्ट्रेशन स्टाफ, रीजनल एडमिनिस्ट्रेटर्स, लॉ मेकर्स और पब्लिक कॉर्पोरेशंस के कर्मचारियों को आदेश जारी किया गया है कि वे विदेशी स्कूलों में पढ़ रहे अपने बच्चों और वहां रह रहे अपने करीबी लोगों को तुरंत देश वापस ले आएं। अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो उन्हें प्रमोशन नहीं मिलेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसा आदेश जारी होने के पीछे की असली वजह अभी तक साफ नहीं है। इसकी एक वजह अपने बच्चों को पश्चिम के प्रभाव से बचाना भी हो सकता है। हालांकि रशियन पॉलिटिकल एनालिस्ट स्तानिसलव बेलकोवस्की का कहना है कि यह ऑर्डर बड़े युद्ध के लिए देश के एलीट क्लास को तैयार करने के उपायों का हिस्सा है।
सीरिया ऐसे बना अमेरिका और रूस का अखाड़ा
2011 में हुई एक घटना ने सीरिया में गृह युद्व का रूप ले लिया था। कुछ बच्चों की गिरफ्तारी से शुरू हुआ ये संघर्ष दूसरे विश्व युद्ध के बाद दुनिया के लिए सबसे बड़ा मानवीय संकट बन चुका है। सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद के खिलाफ हिंसक प्रदर्शनों में 3 लाख लोग जान गंवा चुके हैं। करीब 1 करोड़ लोग बेघर हुए हैं। अगस्त 2012 में अमेरिका ने इस मामले में हस्तक्षेप किया। यूएस सीरिया में विद्रोहियों का समर्थन कर रहा है। मई 2013 के बाद रूस शामिल हुआ। मास्को यहां असद सरकार को मदद कर रहा है और उसे हथियार दे रहा है।
सीरिया को आईएस ने भी बना रखा है जंग का मैदान
सीरिया को पहले अलकायदा और अब आईएस ने भी अपनी जंग का मैदान बना रखा है। आईएस पहले रक्का और फिर मोसुल शहर पर कब्जा कर चुका है। आईएस का मकसद सीरिया में इस्लामिक विचारधारा लागू कराना है। आईएस के आतंकी पकड़े गए अमेरिकियों के साथ बेहद क्रूरता से पेश आते हैं। सितंबर 2014 में अमेरिकी विमानों ने सीरिया में आईएस आतंकियों को निशाना बनाना शुरू किया था। अमेरिका के साथ गठबंधन देशों की सेना में सऊदी अरब, जॉर्डन, बहरीन और यूएई शामिल हैं। 30 सितंबर 2015 को सीरिया में हवाई हमले के लिए रूस की पार्लियामेंट में प्रपोजल पास हुआ और उसी दिन शाम को होम्स पर रूस ने पहले हवाई हमले को अंजाम दिया।
शीतयुद्ध के वक्त से ही रूस और अमेरिका के बीच रिश्ते ठीक नहीं रहे हैं। हाल के दिनों में इसमें तब और तनाव आ गया जब वॉशिंगटन ने सीरिया मसले पर बातचीत से अपने हाथ खींच लिए और रूस पर हमलों को हैक करने का आरोप लगा दिया।