नई दिल्ली :इन दिनों पूरे विश्व भर में जो माहौल बना हुआ है उसे देख कर यह लगने लगा है कि प्रथम विश्व युद्ध और द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, अब हम अनजाने में पहले से ही तीसरे विश्व युद्ध की शुरूआत कर दी है?
विश्व की महान शक्तियां एक दूसरे के आमने-सामने हैं
संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, रूस जैसे देश एक दूसरे को चुनौती दे रहे हैं। सीरिया में अमेरिका और रूस सामने हैं, तो दक्षिण चीन सागर में चीन और अमेरिका एक दूसरे को चुनौती दे रहे हैं। इन शक्तियों के बीच कभी भी युद्ध की नौबत आ सकती है।
गतिशील अमेरिका
जार्ज बुश एक तेजतर्रार नेता थे और अब क्या अमेरिकी वैसा नेता को व्हाइट हाउस में स्थान देंगे। डोनाल्ड ट्रम्प का उदय और रिपब्लिकन प्राइमरी में उनकी जीत अमेरिकी मतदाताओं में बढ़ती कट्टरता को दर्शाता हैं। यह एक नए युद्ध का कारण हो सकता है।
शियाओं के खिलाफ हुई सुन्नी
सीरिया और इराक के युद्ध ने इस्लाम के दो मुख्य शाखाओं शिया और सुन्नी के बीच फूट डाल दिया है। शियाओं को इरान का समर्थन हासिल है, तो वहीं सुन्नियों को सऊदी अरब का समर्थन हासिल है। इन दोनों देशों को दो बड़ी परमाणु शक्तियों का समर्थन हासिल है। एक को अमेरिका समर्थन कर रहा है, तो दूसरे को रूस।
दक्षिण चीन सागर को लेकर मतभेद
अमेरिका और चीन के बीच दक्षिण चीन सागर को लेकर तनातनी है। चीन दक्षिण चीन सार में कृत्रिम आइसलैंड बना रखा है। चीन ने एक तरह से दक्षिणी चीनी सागर से सटे ताइवान और फिलीपींस समेत दूसरे देशों को धमकी दी है कि अगर किसी ने उसके अधिकार वाले क्षेत्र में घुसने की कोशिश की तो उसका अंजाम सिर्फ युद्ध होगा।
इराक द्वारा आक्रमण
जार्ज बुश ने इराक पर अमेरिकी स संभावित हमले को तीसरे विश्वयुद्ध कहा था।
आक्रामक नेता
रूस के पुतिन और उत्तर कोरिया के किम-जांग-उन आक्रामक नेताओं जैसे विश्व में नेता हैं। जो कभी कुछ करने के लिए तैयार हैं। वे अपने पड़ोसियों से निपचने के लिए आक्रामकता अपना रहे हैं।
इंटरकांटिनेंटल संघर्ष
पहले दो विश्व युद्धों की तरह, आईएसआईएस के खिलाफ युद्ध ने लगभगल सभी देशे में जगह ले लिया है। आतंकवादी समूह दुनिया बर हमला कर रहे हैं और उनके खिलाफ कुछ देशों की सेना एक समूह के रूप में लड़ रही है।
विनाश का तर्क
ISIS के खिलाफ लड़ रहे देशों का एक ही लक्ष्य है। दुश्मन को नष्ट करना। यही वजह है कि लक्ष्य हमेशा एक विशेष की तरफ है।
क्रिमिया अधर में लटका
रूस और यूक्रेन अभी भी एक तनावपूर्ण स्थिति में हैं। क्रीमिया का सवाल है, रूस कब्जा कर लेना, इसका हल नही करना चाहता है। वहीं रूसी सेना अपनी मजबूती संघर्ष जारी रखा है।