नई दिल्ली : राष्ट्रपति भवन की पारी खत्म होने के बाद पहली बार प्रणब मुखर्जी ने समाचार चैनल इंडिया टुडे के साथ विशेष साक्षात्कार में तमाम मुद्दों पर खुलकर बातचीत की। उन्होंने साल 2014 के आम चुनाव में कांग्रेस की करारी हार से लेकर GST और नोटबंदी पर अपने विचार रखे। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से अपने रिश्तों को लेकर भी चर्चा की।
प्रणब मुखर्जी ने मनमोहन को पीएम बनाए जाने के सोनिया गांधी के फैसले को सही ठहराया। इंडिया टुडे ग्रुप एडिटोरियल डायरेक्टर राज चेंगप्पा को दिए साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि उस समय मनमोहन को प्रधानमंत्री बनना सोनिया गांधी की बेहतरीन पसंद थी। मुखर्जी ने माना कि सीटों की गड़बड़ी और गठबंधन की कमजोरी के चलते आम चुनाव में यूपीए को करारी हार का सामना करना पड़ा। इसमें साल 2012 में ममता बनर्जी द्वारा अचानक यूपीए से अलग होने का फैसला भी शामिल है।
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब ने कुछ ऐसी भी बातें कही। जिससे पीएम मोदी और NDA खेमा खुश नहीं हुआ। कांग्रेस पार्टी के सत्ता में वापसी के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह कहना बिल्कुल गलत है कि 132 साल पुरानी पार्टी फिर से सत्ता में वापसी नहीं करेगी। पेट्रोल-डीजल के दामों में इजाफा। जीएसटी और अर्थव्यवस्था में गिरावट को लेकर मोदी सरकार की हो रही आलोचना और आम जनता के गुस्से के सवाल पर प्रणब ने सलाह दी कि पैनिक पैदा न किया जाए और न ही इतनी ज्यादा बार बदलाव किया जाए।
दरअसल। मौजूदा NDA सरकार पेट्रोल-डीजल के दामों में इजाफा। जीएसटी और अर्थव्यवस्था में गिरावट को लेकर आलोचना व आम जनता के गुस्से का सामना करना पड़ रहा है। UPA सरकार में GST को लागू करने की पैरवी करने वाले मुखर्जी ने कहा कि जीएसटी को अच्छा बताया। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि इसको लागू करने में शुरुआत में दिक्कत तो आएगी ही।
वाजपेयी सरकार बनने से पहले नरम था सोनिया गांधी का दृष्टिकोण :
प्रणब ने कहा कि शुरुआत वर्षों में सोनिया गांधी का उनके प्रति नरम दृष्टिकोण था। लेकिन वाजपेयी सरकार बनने के बाद इसमें बदलाव आया। उन्होंने कहा कि साल 2004 में लोगों ने सोनिया गांधी को पीएम बनाने के लिए कांग्रेस को वोट दिया था। जब प्रणब से पूछा गया कि जब सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री पद के लिए मनमोहन सिंह का चुनाव किया। तो आपको कैसा लगा। तब उन्होंने कहा कि इससे मैं तनिक भी निराश नहीं हुआ। मुझे लगा कि उस समय मैं भारत का प्रधानमंत्री बनने के योग्य नहीं हूं।
हिंदी नहीं जानने वाले के लिए पीएम पद नहीं :
पूर्व राष्ट्रपति ने कहा। ‘मेरी इस अयोग्य की सबसे बड़ी वजह यह भी थी कि मैं ज्यादा समय राज्य सभा का सदस्य रहा हूं। सिर्फ साल 2004 में लोकसभा सीट जीती थी। मैं हिंदी नहीं जानता था। ऐसे में बिना हिंदी जाने किसी को भारत का प्रधानमंत्री नहीं बनना चाहिए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे कामराज ने एक बार कहा था कि बिना हिंदी के प्रधानमंत्री पद नहीं।’
यूपीए-II को चलाना हो गया था मुश्किल :
यूपीए गठबंधन को लेकर प्रणब मुखर्जी ने कहा कि हमने यूपीए-I गठबंधन को बेहतर ढंग से चलाया और सुशासन दिया। लेकिन युपीए-II में गठबंधन बेहतर नहीं रह सका। उन्होंने कहा कि साल 2012 में ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस के साथ गठबंधन को बनाए रखना बेहद मुश्किल हो गया था। उन्होंने यह भी माना कि साल 2014 में कांग्रेस का खुफिया तंत्र सटीक जानकारी नहीं उपलब्ध कराया पाया। जिसका खामियाजा हार के रूप में मिला। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि आने वाले दिनों में कांग्रेस फिर से वापसी करेगी।