सिम्रराहां के औराही गाँव में इन्सेफ्लाटिस्ट से तीन बच्चों की मौत ने बिहार सरकार की नींद उड़ा दी है, जबकि स्वास्थ्य के मद्देनज़र सरकार की ओर से प्रत्येक गाँव में साफ़-सफाई के मद में प्रति वर्ष दस हजार रूपये देने का प्रावधान है।
उसके वावजूद इस गाँव में गन्दगी वजह सेइन्सेफ्लाटिस्ट जैसी बिमारी ने अपना पैर पसार लिया है जिससे तीन बच्चों की मौत हो गई और लगभग डेढ़ दर्जन बच्चे इस आक्रांत बिमारी की चपेट में हैं।
इस प्रसंग में फारबिसगंज रेफरल अस्पताल के डॉक्टर अजय कुमार सिंह का कहना है की प्रशासनिक तौर पर अगर त्वरित कारवाई नहीं की गई तो मामला बेकाबू होने की संभावना प्रबल होगी।
इस बिमारी के लक्षण की शुरुआत पहले पेट में दर्द से से होती है और फिर बाद में दस्त और खून की उल्टियाँ पर अंत होकर बच्चे को मौत की नींद सुला देती है।
इस सन्दर्भ में अरुण झा नामक ग्रामीण व्यक्ति का कहना है कि गाँव में साफ़-सफाई की व्यवस्था पर जो पैसे मिलतें है उसे मुखिया और स्वास्थ्य कर्मचारी मिलकर खा जातें है।
इस प्रकार की बीमारियों पर काबू पाने के लिए जिला प्रशासन के द्वारा की गई व्यवस्था मात्र, औपचारिकता होना, बिहार में हुई मुझफ्फरपुर और गया वाली पुन उसी घटना की पुर्नावृति न हो इसके लिए जरुरत है, बिहार सरकार इसे काफी गंभीरता से ले।