इसका कारण क्या है परिवार के किसी सदस्य को मालूम नहीं है परन्तु वे इसे कुदरत का सजा समझ भुगत रहे हैं। पत्नि कलमा खातुन कहती है कि उनकी शादी महमुद आलम से हुइ जो अन्धे थे पर दो पुत्री मसीना खतुन व खुर्शीदा एवं तीन पुत्र मो.चांद ,मो.जासीफ ,मो.जाहीद को जन्म दी पर सभी जन्मांध जन्मे।
परीवार का पेट पालने के लिए कलमा के पास भीख मांगने के अलावे कोई दूसरा चारा नहीं है कलमा ने आस लगा साहायता राशि के लिए बडे़ हाकीमों से लेकर नेताओ और पंचायत प्रतिनिधी तक के चक्कर लगाये पर कहीं इस उपर वाले कि मार सह रहे परीवार को निचे पाले का भी सहारा नही मिला ।
आजतक इस बेघर, भूमीहीन और फटेहाल परीवार को कोइ सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल पाया। कलमा भी अब उम्र के प्रभव और बुढ़ापे से लाचार हो चुकी है पर आस नही छोडी है की कही अभी भी न्याय और सहायता कि आस लगाये बैठी है की कहीं कोई मिल जाये मेरे परीवार का खेवनहार ।