तिहाड़ जेल में हुई राम सिंह की मौत, जो कि अभी तक सवालों में ही उलझी हुई है कि राम सिंह ने आत्महत्या किया है या उसकी हत्या कर दी गई है। साथ ही राम सिंह के साथ आए दिन होने वाली मार – पीट की बात भी सामने आई है। इस घटना ने तिहाड़ की सलाखों को ही सवालों के कटघरे में खड़ा कर दिया है। जेलों के सुरक्षा के इंतजामों पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।आत्महत्या का मामला सामने आने के बाद कैदियों पर नजर न रखे जाने की बात सामने आ रही है।
यहाँ से बाहर आए कुछ कैदियों का यह कहना है कि हत्या, लूट, डकैती और बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों में शामिल बदमाश भी जब पहली बार तिहाड़ जेल की सलाखों के पीछे आते हैं, तो यहां का माहौल देखकर उनके पसीने छूट जाते हैं। यह सोचकर की जेल में उनके साथ कौन कैसा व्यवहार करेगा, कुछ कैदियों के लिए तो यह सुधरने का समय होता है, तो कुछ कैदी यहाँ के माहौल में पल कर पुरी तरह जुर्म की दुनियां में उतर जाते हैं।
यहाँ के कैदियों का यह भी कहना है कि कमजोर कैदियों या फिर वो अपराधी जो छोटे-मोटे अपराध करके जेल में पहली बार आते हैं उन कैदियों से वहाँ के पुराने कैदी जो यहाँ सजा के दौरान सुधरने की बजाय यहाँ आकर कमजोर कैदियों पर अपनी दंबंगई दिखाते हैं। वह उनसे अपना काम कराते हैं, रात को बिस्तर बिछवाते हैं और कई बार अपने हाथ-पैर को दबवाने के अलावा मालिश भी करवाते हैं। यह सभी काम समझौते के तहत किए जाते हैं इसके बदले में यह कैदी कमजोर कैदियों को अपना सुरक्षा कवच देते है। यानी जेल में अगर किसी कमजोर कैदी के बारे में यह पता है कि यह फलां दबंग कैदी का चेला हैं, तो फिर उसे दूसरे कैदी कोई दुरव्यवहार नहीं करते।
अब तिहाड़ जेल में कैदियों के हाल के बारे में जानने के बाद सवाल यह उठता है कि जेल में सजा काट रहे कैदी इस माहौल में सुधरना भी चाहें तो कैसे सुधर सकते हैं? या यूँ कहें कि अगर कोई कैदी बाहर रहकर पुरी तरह अपराधी न बना हो तो ये जेल उसके लिए यह काम करता है कि वह पुरी तरह जुर्म की दुनियां में कदम रख सके। इन सबके बीच क्या कर रहा है जेल प्रशासन? कौन है यहाँ का माई बाप जेल प्रशासन या यहाँ की सलाखों के पीछे बंद दंबंग कैदी?