विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश मे भ्रष्टाचार को अब तक कानूनी मान्यता क्यों नहीं दी जा रही है घ् उच्चतम न्यायालय को इस विषय पर गम्भीरता से चिंतन करना चहिये। वैसे भी मैं भ्रष्टाचार के लोकतान्त्रिकरण की वकालत नहीं कर रहा हूँ। बल्कि लोकतंत्र की गरिमा बढ़ाने वाले नेताओं व अधिकारियों की भ्रष्टाचार सम्बन्धी व्यवहारिकता की ओर आप लोगों का ध्यान आकर्षित कर रहा हूँ ।
स्वतंत्रता प्राप्ति से आज तक भारतीय न्याय प्रणाली द्वारा क्या कोई एक भी ऐसा निर्णय दिया गया है घ् जिसमें किसी राजनैतिक भ्रष्टाचारी को सजा हुई हो। वो चाहे वोर्फोस मामला हो या फिर चारा घोटाला न जाने कितने ऐसे अनगिनत मामले है जिसमें कानून हारता नजर आया है। तो क्या ये समझा जाये कि कानून केवल आम लोगों ;गरीबों के लियेद्ध के लिये ही हैं।
इन भ्रष्टाचारियों ने न्यायालय व संविधान को अप्रासंगिक बना दिया हैंए अब भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज बुलंद करने वालों को भी ऑनर किलिंग का सामना करना पड़ रहा हैं वो भी हो क्यों नही बात उच्च स्तर के भ्रष्टाचारियों की प्रतिष्ठा की जो है। उनका भी आत्मसम्मान हैए उनके खिलाफ आवाज उठाने पर ऑनर किलिंग का मामला तो बनेगा ही घ् अहमदाबाद के अमित जेठवा की न्यायलय के बाहर हत्या इसका ताजा उदाहरण है।
इस प्रकार समाजसेवियोंए राष्टप्रेमियों की हत्या राष्ट्रीय शर्म का विषय है। दिल्ली के वाटला हाउस मुठभेड़ के संदिग्ध आंतकियों के परिवार वालों के प्रति संवेदनाए आज तक ;तुष्टिकरण की राजनीति करने वाले नेताओं द्वाराद्ध प्रकट की जा रहीं हैं। क्या अमित जेठवा जैसे सपूतों के परिवारों के प्रति संवेदनाएँ प्रकट करने की होड़ मची है हमारे नेताओं के बीच में घ् ऐसी सम्भावना निकट भविष्य में नही दिखाई दे रही है। क्यों कि यह देश भ्रष्टाचारियों अपराधियों की शरणस्थली बन चुका हैं। लेकिन भारत माता ने जेठवा जैसे असंख्य सपूतों को जन्म दिया है। जो भ्रष्टाचारियों के ऑनर किलिंग से आतंकित करने के नुस्खों को चुटकियों से मसल देंगे।