नई दिल्ली : भारत के किसान मांगों को लेकर 1 से 10 जून तक हड़ताल पर जा रहे हैं। किसान 10 दिन दूध, सब्जियां, फल और हरा चारा न शहर में बेचेंगे, न ही बाजारों से कोई चीज खरीदेंगे। इंडियन फार्मर्स एसोसिएशन के राष्ट्रीय प्रधान सतनाम सिंह ने बताया कि सतनाम सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार की नीतियों से किसान दुखी हैं और खुदकुशियां कर रहे हैं।
किसानों की प्रमु्ख मांगे किसानों का कर्ज माफ किया जाए। डॉ. एमएस स्वामीनाथन की रिपोर्ट लागू की जाए, किसानों को चीजों का सही मूल्य मिले और डीजल, पेट्रोल की कीमतों को कम किया जाए या जीएसटी में लाया जाए। किसान गुरमेल बोसर, सेवा सिंह पनोदिया और रणजीत सिंह ने कहा कि दूध पानी से भी सस्ता बिक रहा है।
अपनी मांगों को लेकर मध्य प्रदेश समेत देश के 7 राज्यों के किसान आज से आंदोलन पर हैं। राष्ट्रीय किसान महासंघ ने 130 संगठनों के साथ केंद्र सरकार के खिलाफ 10 दिवसीय आंदोलन का आह्वान किया है। इस बीच आक्रोशित किसानों ने शहरी इलाकों में दूध की आपूर्ति बंद कर दी है। इतना ही नहीं किसानों ने सड़कों पर फलों और सब्जियों को फेंककर अपना विरोध जताया है। उधर, किसान आंदोलन के बीच केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने गुरुवार को कहा है कि सरकार इस खरीफ सत्र से ही स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करेगी। उन्होंने कहा कि किसानों को इसी सत्र में धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) मिलेगा।
क्योंकि राजनीतिक चौधरी सरेआम सिंथेटिक दूध के टैंकर तैयार करके शहरों में सप्लाई कर रहे हैं। जो कि लोगों की सेहत से खिलवाड़ करने जैसा है। इन 10 दिनों में हड़ताल दौरान किसान तीर्थ स्थान पर जाने के लिए भी तैयार हैं, ताकि सरकार को किसान की अहमियत पता चल सके।
फ्रूट मंडी के अशोक दुआ ने बताया कि तरबूज और खरबूजे का सीजन चल रहा है और किसानों ने हड़ताल की चेतावनी दे दी है। अगर हड़ताल हो गई तो खरबूजा और तरबूज फट जाएंगे और सड़कों पर फेंकना मजबूरी हो जाएगा।