समुद्र से 1372 मीटर की ऊँचाई पर स्थित महाबलेश्वर महाराष्ट्र का सबसे बड़ा हिल स्टेशन है। अंग्रेजों के समय में यह हिल स्टेशन मुंबई प्रेसीडे़सी की ग्रीष्मकालीन राजधानी हुआ करता था। यहाँ का प्राकृतिक सौंदर्य पर्यटन स्थल की खोंज का श्रेय अंग्रेज सर चाल्र्स मैलेट को जाता है। ब्रिटिश शासन के दौरान इस स्थान का नाम कुछ दिनों के लिए ’मैलकम पीठ’ रखा गया है। यहाँ स्थित एक बाजार आज भी इसी नाम से जाना जाता है।
अंग्रेजों ने यहाँ अनेक भवन, कॉटेज और बंगले बनवाये है। उनका इस पहाड़ी क्षेत्र को संवारने में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। 13 वी सदी में यादव वंश के राजा सिंघन ने 5 नदियों के उद्गम स्थल पर महादेव के मंदिर का निर्माण करवाया था जिसका नाम बाद में महाबलेश्वर हो गया। मुंबई से 250 किलोमीटर की दूरी पर स्थित महाबलेश्वर में कलकल का निदान करती नदियाँ है तो ऊँचाई पर से नीचे गिरते झरनों का शोर भी हैं। यहाँ की झील का नैसर्गिक सौंदर्य देखकर तो सैलानी यहीं बस जाना चाहते हैं। सह्याद्रित पर्वत श्रृंखलाओं में बसा महाबलेश्वर जगभग 5 किलोमीटर के दायरे में फेला एक ऐसा रमणीक स्थान है जिसकी सुंदरता सैलानियों का वर्षों तक याद रहती है और आस-पास के महानगरों के पर्यटक तो अवसर मिलते ही अपनी छुट्टियाँ गुजारने के लिए यहाँ आ जाते हैं।
माउंट मैलकम
यह 1829 में बनी उत्कृष्ट स्थापत्य शिल्प की एक इमारत है जो पुराने समय में बेहद प्रसिद्ध थी। आज यह इमारत अपना प्राचीन सौंदर्य और आकर्षण खोती जा रही है। फिर भी पर्यटकों के लिए यह एक उत्तम ऐतिहासिक साक्ष्य है।
प्रतापगढ़ किला
शहर से 24 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस किले का निर्माण 1656 में शिवाजी के एक सरदार मोरोपंत त्रयंबक पिंगले द्वारा करवाया गया था। पानाघाट पर स्थित यह किला 1100 मीटर की ऊंचाई पर बना है। इस किले के बारे यह कहानी प्रचलित है कि मराठाा शासक शिवाजी ने बीजापुर के सूबेदार अफजल खाँ को नाटकीय ढंग से यहीं मारा था। किले ऊपर महाबलेश्वर के विहंगम नजारे को देखा जा सकता है।
महाबलेश्वर क्लब
1888 में बनाया गया यह क्लब आज भी बेहतर स्थिति में हैं पर यहाँ केवल वही लोग ठहर सकते हैं जो इसके सदस्य होते हैं। यहाँ एक गोल्फ का मैदान है। यहाँ का गुलाबों का बाग बेहद लोकप्रिय है, वहाँ क्रिसमस पर काफी भीड़ रहती है।
लोडविक प्वाइंट
समुद्रतल से लगभग 1240 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह स्थान प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है। यहाँ पर जनरल लोडविक की याद में उसका स्मारक बना है। इसके पास ही एलफ्रिस्टन प्वाइंट है। इन दो पहाडि़यों के बीच खूबसूरत धोबी झरना है। एलफिंस्टन प्वाइंट से कोऐना नदी का मनभावन मंजर देखा जा सकता है।
वेष्णा झील
महाबलेश्वर का यह सबसे आकर्षक और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर स्थान है। इस झील में पर्यटक उन्हें नौकायन का आनंद उठा सकते हैं। झील के पास बना गुलाब बाग मनमोहक है। यहाँ की पहाडि़यों पर अनेक तरह की जड़ी-बूटियों पायी जाती हैं जिसका एक संग्रहालय झील के पास बना है जहाँ पर्यटक उन्हें देखकर अपना ज्ञान बढ़ा सकते हैं। वेष्णा झील के पास ही रॉबर्ट गुफा और पीक है जो अपने प्राकृतिक सौदर्य से पर्यअकों को आकर्षित करती है।
विल्सन प्वाइंट
विल्सन प्वाइंट समुद्रतल से 1435 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह महाबलेश्वर का सबसे ऊँचा स्थान है। यहां से पर्यटक दूर-दूर तक फेले दक्कन के पठार का मनभावन दृश्य देखने के साथ ही पर्यटक आकर्षक सूर्योदय भी देख सकते हैं।
पंचगनी
पंचगनी का मनभावन मौसम, आकर्षक प्राकुतिक सौंदर्य, रोमांच उत्पन्न कर देने वाली घाटियाँ थोड़ी-थोड़ी दूरी बसे छोटे-छोटे गाँव और चाँदी जैसी सफेद जलधारा के साथ बहती नदियाँ पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। 5 पहाडि़यों से घिरे होने के कारण इस स्थान का नाम पंचगनी पड़ा। समुद्रतल से 1334 मीटर की ऊँचाई पर बसा यह स्थान महाबलेश्वर से मात्र 38 किलोमीटर की दूरी पर है। यहाँ का प्रमुख आकर्षक टेबल लैंड है, जो पहाड़ की चोटी पर समतल मैदान है जहाँ से एक ओर मैदानों की हरियाली दिखाई देती है तो दूसरी ओर बादलों का दृश्य देखने में बेहद सुन्दर प्रतीत होता है। पंचगनी में कृष्णा नदी का कर्णप्रिय कलकल करता स्वर, बड़े-बड़े छायादार पेड़ों का झुरमुट आकर्षक दृश्य प्रस्तुत करता है। यहाँ विश्वभर के विश्वभर के विदेशी फलदार वृक्ष जैसे फ्रांस के पाइन, स्काटलैंड के प्लस, बोस्टन के अंगूर व रत्नगिरि आम आदि लगे।