वहीं दलालो द्वारा आसानी से नियमो को ताक पर रख कार्य हो जाता हैं, क्षेत्र में अन्य प्रदेशों के दो पहिया से लेकर चार पहिया वाहनों कि भरमार हैं बहुत से चार पहिया वाहन प्राइवेट नम्बर लगा सवारी ढो रहे हैं। वहीं बहुत सारे ऐसी भी गडि़या हैं जो बिना कागजात या जाली कागजात के सड़को पर दौड़ रही हैं। लेकिन इनको देखने कि फुर्सत किसी को नहीं।
यहां अधिकतर चालक बिना लाइसेन्स के गाड़ी चला रहे हैं, और हैंमलेट तो सायद बिहार के लिए बना ही नहीं हैं, ओवर लोडिंग और बाईक पर तीन क्या चार व्यक्ति भी चलता हैं और परिवहन विभाग चुपचाप तमाशबीन की तरह तमाशा देख रहा हैं। ट्रैक्टर चालक सड़को पर सरपट बूलेरो ,स्कार्पियो और अन्य गाडि़या दौड़ाते हैं। ऐसा होने का कारण हैं बिना ड्राइव टेस्ट के लाइसेन्स बनना या फिर जांच नहीं होने से निडर हो गाड़ी चलाना और अगर जांच भी हुई तो क्या 10,20,50,100 सब चलता हैं।
ऐसे चालक कब किसकी जिन्दगी के सफर को मौत का सफर बना दे यह उपर वाला भी नहीं जानता। आए दिन दूर्घटनाएं होने के बावजूद भी विभाग के कान पर जूं तक नही रेंग रहा। पता नहीं कितने दूर्घटनाओं और मौतो के बाद विभाग कि निन्द खुलेगी। फिलहाल आलम यह हैं कि अच्छे चालक भी सड़को पर गाड़ी चलाने में डर रहे हैं कि कब कौन नव सिखुआ चालक आकर उनकी गाड़ी में टक्कर मार दें।