कही ऐसा ना हो खोदे पहाड़ निकले चुहिया? माबला उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के गाँव डौंडियाखेड़ा का है, जहाँ एक संत का स्वप्न सुर्खिया बटोर रहा है स्वप्न है सोने का सोना मतलब नीद नहीं मतलब वह पीली धातु जिसे देखकर इंसान का ईमान डोल जाए फिर क्या था बाबा बन गए नत्था और डौंडियाखेड़ा बन गया है पिपली लाइव का मैदान और अब डौंडियाखेड़ा को भारी पुलिस सुरक्षा ब्यवस्था के हवाले कर दिया गया है।
बड़े बड़े न्यूज़ चैनल्स के कैमरे लोगों की भीड़ उस निर्जन टीले पर दिखाई दिखाई देने लगे है जहा कल से पुरातत्व बिभाग खुदाई की शुरुवात करने वाला है। वैसे तो यहां आई आर्कियोलॉजी सर्वे ऑफ इंडिया की टीम खजाने के बारे में कुछ कहने को तैयार नहीं है लेकिन उसका कहना है कि खुदाई में करीब एक माह लगेगा। इसके बाद ही पता चलेगा कि यहां क्या निकलेगा।
उन्नाव किले में दिन-ब-दिन बढ़ रही भीड़ को देखते हुए पुलिस-प्रशासन ने इसकी सुरक्षा बढ़ाने का फैसला किया है। अब तक कुछ सिपाहियों के भरोसे रहा किला गुरुवार से पीएसी के हवाले हो गया। विकास से कोसों दूर इस क्षेत्र को देखकर दो साल पहले आई आमिर खान की चर्चित फिल्म ‘पिपली लाइव’ की याद ताजा हो गई।
फिल्म के पिपली गांव जैसा दृश्य बुधवार को डौंडि़याखेड़ा के किले पर था। करीब 12 दिन पहले यहां आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया व जियोलॉजिकल सर्वे की टीम आने के बाद लोगों के लिए मानो आस्था का केंद्र हो गया। एक सप्ताह तक अखबारों की सुर्खियां बनने के बाद डौंडि़या खेड़ा हर चैनल का चहेता हो गया है।
बाबा गए पुराने आश्रम : यहां चैनलों की भीड़ बढ़ने के साथ ही यहां खजाने का सपना देखने वाले बाबा शोभन सरकार अपने पुराने आश्रम शिवली कानपुर देहात चले गए हैं। बुधवार को संत शोभन सरकार ने प्रधानमंत्री, वित्तमंत्री, रिजर्व बैंक के गवर्नर आदि को पत्र भेज कर फतेहपुर के आदमपुर में खुदाई के लिए दस लाख रुपये देने की पेशकश की है। उन्होंने दावा किया कि वहां भी 2500 टन स्वर्ण भंडार दबा है। तमाशबीनों की भीड़ बढ़ने से सफाई कार्य में देर हो रही है।
बारासगवर थानाध्यक्ष ने प्रशासन से और अधिक पुलिस फोर्स के साथ वहां पीएसी भी तैनात करने की मांग की है। सुबह से देर शाम तक महिलाओं समेत पांच सौ से ज्यादा तमाशबीन रोजाना पहुंच रहे हैं. जिससे चिह्नित पत्थर इधर-उधर हो जा रहे हैं। बुधवार को एक विदेशी काफी देर तक किला परिसर और आसपास घूमता रहा. सूत्रों का कहना है कि खुदाई के दौरान खजाने तक पहुंचने में एक-दो दिन देर हो सकती है क्योंकि भारतीय पुरातत्व विभाग अपने परंपरागत संसाधनों गैंती, कैंची, कुदाली आदि से ही काम को अंजाम देगा।