नई दिल्ली : दिल्ली में गलघोंटू बीमारी से 14 दिन में 12 बच्चों की मौत हो चुकी है। इनमें से 11 की मौत किंग्सवे कैंप स्थित महर्षि वाल्मीकि अस्पताल में हुई हैं। ये बच्चे पश्चिम यूपी के रहने वाले थे। जबकि एक अन्य बच्चे की मौत लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल में हुई है। यह बच्चा दिल्ली का निवासी है।
परिजनों की मानें तो अस्पताल में इस बीमारी का टीका उपलब्ध नहीं है। बाहर से परिजनों को 10,300 रुपये में खरीदकर लाना पड़ता है। यह भी आरोप है कि टीका लगने के बाद उनके बच्चे की मौत हुई है। जबकि अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि गलघोंटू बीमारी से इन बच्चों की हालत पहले से नाजुक थी। हालांकि, अस्पताल प्रबंधन ने मृतक बच्चों की जानकारी साझा नहीं किया है। जानकारी के अनुसार जीटीबी नगर के पास इस अस्पताल में गलघोंटू बीमारी का इलाज होता है। इसलिए ज्यादातर पश्चिम यूपी के रेफर मरीज यहां पहुंचते है।
इस साल जुलाई से अक्तूबर माह के बीच अस्पताल में करीब 550 बच्चे भर्ती हुए थे। डॉक्टरों का कहना है कि बारिश के बाद मौसम में बदलाव से गलघोंटू बीमारी का संक्रमण फैलता है। इस समय अस्पताल में करीब 85 बच्चे भर्ती हैं।
सहारनपुर निवासी सरफराज का कहना है कि अस्पताल में गलघोंटू बीमारी का टीका उपलब्ध नहीं है। निजी दुकानों पर इसकी कीमत इतनी ज्यादा है कि गरीब मरीजों के लिए खरीदना संभव नहीं है। सरफराज का आरोप है कि उसके बच्चे की मौत टीका लगाने के बाद हुई है। वहीं, छह वर्षीय मृतक शिफा के पिता जहीर का कहना है कि वह बेटी को पिछले माह अस्पताल लाए थे। 15 दिन बाद डॉक्टरों ने टीका लाने को कहा था। टीके की कीमत ज्यादा होने के कारण उन्हें कर्ज लेना पड़ा। लेकिन बच्ची को नहीं बचाया जा सका।
अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. सुशील गुप्ता ने बताया कि 6 से 19 सिंतबर के बीच अस्पताल में 12 बच्चों की मौत इस बीमारी से हुई है। अब भी अस्पताल में इस बीमारी से पीड़ित 85 बच्चे भर्ती हैं।
साथ ही गुप्ता ने परिजनों के आरोपों को खारिज कर कहा कि इन बच्चों की मौत टीका से नहीं, बल्कि इनकी हालत नाजुक होने से हुई है। उनका कहना था कि पश्चिम यूपी में ऐसे कई केस देखने को आए दिन मिलते हैं, जिनसे साबित होता है कि वहां बच्चों को गलघोंटू बीमारी का टीकाकरण नहीं लगाया जा रहा है।