अमेरिका शटडाउन (कामबंदी) का एक हफ्ता गुजर जाने के बाद संकट का हल निकालने की कोशिशें शुरू हो गई हैं। शायद यह डिफ़ॉल्टर होने का ही डर है कि अब तक सख्त दिख रहे राष्ट्रपति बराक ओबामा के तेवर कुछ नरम पड़े हैं और वह विपक्षी रिपब्लिकन नेताओं से बातचीत को राजी हो गए हैं। ओबामा ने कहा है कि जब तक विवाद नहीं सुलझा तब तक वह कर्ज की सीमा बढ़ाने को तैयार हैं।
ओबामा ने बुधवार को हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव्स के स्पीकर जॉन बोएनर से शटडाउन खत्म कराने के लिए फोन पर चर्चा की। राष्ट्रपति के अनुसार वह हर मुद्दे पर खासकर ओबामाकेयर पर वार्ता के लिए तैयार हैं, लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि सिर्फ गतिरोध तोड़ने के लिए वह बातचीत नहीं करेंगे। रिपब्लिकन सांसदों को बजट पारित कर सरकार को कामकाज शुरू करने देना चाहिए। इसके बाद व्हाइट हाउस उनकी तर्कसंगत मांगों पर चर्चा के लिए तैयार है।
जनता को आर्थिक मंदी का खतरा दिखाकर विपक्ष सरकार से काम नहीं करवा सकता। ओबामा ने कहा कि इस तरह से प्रजातंत्र काम नहीं करता। मेरे बाद आने वाले राष्ट्रपतियों के लिए भी यह नजीर होगी। राष्ट्रपति को पार्टी से ऊपर उठकर देश के लिए सोचना होता है।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने 17 अक्टूबर तक उधारी सीमा न बढ़ने पर सरकार के डिफ़ॉल्ट होने के बाद के दुष्प्रभावों पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि दुनिया का भरोसा अमेरिका पर से डगमगा जाएगा, शेयर बाजार ध्वस्त होगा और देश की अर्थव्यवस्था गंभीर संकट में फंस जाएगी। इसका सीधा असर जनता पर पड़ेगा।
बोएनर ने राष्ट्रपति से बात करने के बाद संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि ओबामा से उनकी सौहार्दपूर्ण बातचीत हुई। लेकिन, इससे कोई फायदा नहीं होने वाला क्योंकि वह खुद को दोहरा रहे है। वे चाहते हैं कि रिपब्लिकन बिना शर्त समर्पण कर दे तब वार्ता होगी। सरकार ऐसे काम नहीं कर सकती। हालांकि, उन्होंने उम्मीद जमाई है कि रिपब्लिकन और डेमोक्रेट्स जल्द वार्ता करेंगे।
उधर हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव्स में रिब्लिकन पार्टी का बहुम है। उन्होंने बजट को मंजूरी देने से मना कर दिया है। इसके चलते सरकार का कामकाज ठप है। वह चाहते हैं कि सरकार ओबामाकेयर के नाम से चर्चित हो चुके हेल्थकेयर प्रोग्राम को रोक दे। ओबामा और डेमाक्रेट्स का कहना है कि कानून 2010 में पास हो गया था। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने भी मुहर लगा दी है। ऐसे में वह ओबामाकेयर पर पीछे नहीं हटेंगे।