नई दिल्ली: राज्यसभा में दिल्ली हिंसा को लेकर कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस समेत विपक्षी दलों के सदस्यों ने भारी हंगामा करते हुए सरकार पर ‘सोये रहने’ का आरोप लगाया जिसके कारण सदन की कार्यवाही दो बजे तक स्थगित कर दी गई थी।
भारी हंगामे को देखते हुए राज्य सभा कल मंगलवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
2 बजे बाद सदन की कार्यवाही फिर से प्रारंभ हुई लेकिन भारी हंगामा जारी है। सदस्यगण सभापति के समक्ष नारे लगा रहे हैं।
स्थिति को देखते हुए उन्होंने सदन की कार्यवाही लगभग 11 बजकर 20 मिनट पर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
सभापति ने कहा कि आसन को काली पट्टी नहीं दिखायी जा सकती। इस बीच विपक्षी दलों के सदस्यों ने नारे लगाने शुरू कर दिए। सभापति ने बार बार सदस्यों से शांत होने और सदन चलने देने की अपील की लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ।
इसके बाद आम आदमी पार्टी के संजय सिंह और पार्टी के दो अन्य सदस्य सभापति के आसन की ओर बढ़ने और कांग्रेस तथा विपक्ष के अन्य सदस्यों ने उनका साथ देना शुरु कर दिया। इस बीच तृणमूल कांग्रेस की शांता छेत्री और पार्टी के दो अन्य सदस्यों ने अपनी आंखों पर काली पट्टी बांध ली और अपने सीटों पर मौन खड़े गये।
इस पर विपक्ष के सदस्य अपने स्थान पर खड़े हो गए और शोर शराबा करने लगे। सदन में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि ‘तीन दिन तक सरकार सोई’ रही। इस पर सभापति ने कहा कि इस मुद्दे पर चर्चा की अनुमति नहीं है। कांग्रेस के आनंद शर्मा, समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव और तृणमूल कांग्रेस के सुखेंदू शेखर राय जोर जोर से बोलने लगे जो सुना नहीं जा सका।
सभापति एम. वेंकैया नायडू ने सुबह सदन की कार्यवाही शुरू करते हुए जरुरी दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए और कहा कि दिल्ली और देश के अन्य हिस्सों में चल रहे हालात पर कई सदस्यों के नोटिस मिले हैं और इस मुद्दे पर चर्चा भी बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि लेकिन चर्चा से पहले हालात सामान्य होने चाहिए। सभी दलों और सदस्यों को हालात सामान्य बनाने में सहयोग करना चाहिए। नायडू ने कहा कि नोटिसों पर सदन के नेता और सदन में विपक्ष के नेता के साथ विचार विमर्श करने के बाद चर्चा करने का समय तय किया जाएगा।