स्वयंसेवी संस्था-सुलभ इंटरनेशनल के एक अधिकारी ने कहा कि वाराणसी के विधवा आश्रमों में रहने वाली सैंकड़ों वृद्ध महिलाएं अपने नए भाई मोदी को राखियां भेजेंगी। बिड़ला और दुर्गाकुंड आश्रमों में रहने वाली विधवाएं इन दिनों अपने हाथों से राखियां बनाने में व्यस्त हैं।
वहीं, मीरा सहभागिनी और चेतन विहार आश्रमों में रहने वाली नेपाल की वृद्ध विधवाएं भी राखियां बनाने में व्यस्त हैं। उन्होंने जुलाई के अंतिम सप्ताह में राखियां बनाने का काम शुरू किया था और अब तक उनके हाथों से 500 से ज्यादा राखियां बन कर तैयार हैं। बिड़ला आश्रम की एक 80 वर्षीय विधवा ने बताया, हमने प्रधानमंत्री को 1,000 राखियां भेजने का लक्ष्य रखा है।
सुलभ इंटरनेशनल के प्रवक्ता मदन झा ने बताया कि आश्रम की विधवाएं यहां स्थानीय संतों और ब्राह्मणों को भी रक्षाबंधन पर राखियां बांधेंगी। वाराणसी और वृंदावन जैसे शहरों में हजारों विधवाएं तंग गलियों में बनी छोटी कोठरियों में एकाकी जीवन जीने को अभिशप्त हैं, जिन्हें उनके परिवार वाले त्याग देते हैं। वे अपना सारा समय दो जून की रोटी जुटाने और ईश भक्ति में बिताती हैं।
सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक बिंदेश्वर पाठक ने कहा, ‘मेरी कोशिश विधवाओं को लेकर इस देश के लोगों की सोच दृष्टिकोण और व्यवहार को बदलने की है, जो उनकी अपनी मां और बहनें हैं। सुलभ इंटरनेशनल वाराणसी, वृंदावन और केदारनाथ घाटी में लगभग 1,500 विधवाओं की देखभाल करता है। रक्षाबंधन के त्योहार पर नौ अगस्त को 900 विधवाएं और दिल्ली और मथुरा-वृंदावन के स्कूलों के करीब 200 बच्चे मीरा सहभागिनी आश्रम में रक्षाबंधन का त्योहार मनाएंगे।