आपराधिक मामलों के जाने माने अधिवक्त्ता डीबी गोस्वामी कहते है कि निचली अदालत के फैसले पर हार्इकोर्ट की मुहर लगनी है। इसमें 60 दिन लगेंगे। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर करने के लिए 90 दिन का समय मिलेा।
सुप्रीम कोर्ट में फांसी की मुहर लगने पर रिव्यू पिटीशन और फिर क्यूरेटिव पिटीशन दायर होगी। इन प्रक्रियाओं को पूरा होने में कम से कम डेढ़ साल लगेंगे। फिर मामला दया याचिका के लिए राष्ट्रपति के पास जाएगा, गृह मंत्रालय रिपोर्ट तैयार करेगा और फिर सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवार्इ होगी।
सभी जगहों से फांसी पर मुहर लगने के बाद भी फांसी देने में कर्इ प्रक्रिया पूरी करनी पड़ती हैं। कुल मिलाकर कम से कम तीन साल तो लगेंगे ही।
उधर साकेत कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष राजपाल कसाना के मुताबिक अभी दोषियों को फांसी पर लटकाने में कितना वक्त लगेगा कहा नहीं जा सकता। यह तो अदालती प्रक्रिया पर ही निर्भर करेगा। क्योंकि अपील के लिए अभी कई स्तरों से गुजरना होगा। यह मामला सरकार के रवैये पर भी निर्भर करता है।