दार्जिलिंग के पहाड़ों में अगल गोरखालैंड की मांग को लेकर लंबे समय से प्रदर्शन होते रहे हैं, कई बार आंदोलन ने उग्र रूप पहले भी लिया है। लेकिन इस बार की घटना में गोरखा जन मुक्तिमोर्चा के एक समर्थक ने आत्मदाह का प्रयास किया। जिसमें उसका 60 प्रतिशत शरीर आग में झुलस चुका है, मौके पर मौजूद साथी प्रदर्शनकारी युवकों ने हिम्मत दिखाई और आग बुझा दी वरना अशान्तिपूर्ण वातावरण निर्मित हो सकता था।
फिलाल उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहाँ उसका इलाज चल रहा है। सप्ताह भर से लगातार चलते बंद के कारण दार्जिलिंग के पहाड़ों पर रह-रहें लोगों का जीवन बुरी तरह प्रभावित हो गया है, जिसमें दैनिक उपभोग की चीजों के अभावों की समस्या प्रमुख है। लेकिन गोरखा जनमुक्ति मोर्चा नेए तेलंगाना राज्य की मांग पूरी होती देख गोरखालैंड की मांग के लिए आन्दोलन तीव्र कर दिए है।
पूरे पर्वतीय क्षेत्र के संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा बल तैनात है तथा उन्हें साथ ही विशेष सुरक्षा दस्तों का सहयोग भी प्राप्त हो रहा है जिसके परिणाम स्वरुप धर-पकड़ अभियान में अब तक 145 गोरखा जन मुक्तिमोर्चा समर्थकों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। इस बीच असम में कार्बी आंगलांग राज्य की मांग को बंद के चलते डिफू में लगे कर्फ्यू में 12 घंटे की ढील दी गई। इस दौरान ज्यादातर प्रतिष्ठानों में तालाबंद स्थिति में है और सरकारी कार्यालयों में कर्मचरियों की उपस्थिति नगण्य है। महिलाओं ने भी सरकार के नकारात्मक रवैये के खिलाफ सिर मुंडा कर अपना विरोध दर्ज किया। सड़कों पर नियमित सुरक्षाबल की गश्त जारी है बंद का आह्वान देखते हुए प्रशासन की तरफ़ से क़ानून.व्यवस्था बनाए रखनेए एक चुनौती हैं।
पश्चिम बंगाल राज्य विधानसभा चुनाव में गोरखा जनमुक्ति मोर्चा ने दार्जीलिंग पहाड़ी क्षेत्र की तीनों विधानसभा सीटों पर जीत हासिल कीए इसके बाद ये संकेत साफ़ हुए कि उस क्षेत्र में गोरखा जनमुक्ति मोर्चा का असर है। अतः आशा यहीं की जा सकती है की सरकार आंदोलन को दबाने की कोशिश ना करते हुए बातचीत और आपसी सहयोग से कोई रास्ता निकले वरना ये आन्दोलन और हिंसक रूप ले सकता है, और उन क्षेत्रो में आर्थिक गतिविधियां पूर्णतः ठप भी हो सकती है।