नई दिल्ली : सब भी आप कही किसी संस्थान में जॉब के लिए आवेदन करते हैं तो उसके लिए सबसे पहले और सबसे जरुरी जो चीज होती है वो है आपका CV और आपका Resume.
क्या आप जानते हैं कि ब्रिटिश नागरिक हमेशा सीवी के साथ ही अप्लाय करते हैं? अमेरिकी करते हैं रिज्यूम के साथ अप्लाय। ऑस्ट्रेलिया में हैं दोनों ही चलन में। सीवी और रिज्यूम के बीच कुछ अंतर हैं। इन्हीं अंतरों के आधार पर इनका चुनाव किया जाना चाहिए।
आप भी सीवी और रिज्यूम के बीच के अंतरों को जानिए और अपनी जरूरत के हिसाब से रिज्यूम या सीवी में से किसी एक का चुनाव कीजिए। आइए जानते हैं सीवी और रिज्यूम की अलग अलग खासियतें।
सीवी : सीवी क्यूरीकुलम वाइटे ( Curriculum Vitæ जिसका मतलब है जिंदगी के आगे बढ़ने का लेखाजोखा) एक विस्तृत कागज होता है जिसमें दो और अधिक पेजों में जानकारी भरी जाती है। इसमें उपलब्धियों की जानकारी विस्तार से दी जाती है। अपने करियर की अब तक की हुई हर बात, जिसे आप बताने लायक समझते हैं, इसमें कही जाती है। सीवी में शिक्षा और अन्य खूबियां जिनमें आपको मिले अवार्ड, हॉनर्स, प्राइज को शामिल किया जाता है।
इसको तैयार करने में क्रम का ध्यान रखना आवश्यक है। घटनाएं समय के अनुसार जिस क्रम में हुई हैं उन्हें उसी क्रम में रखना जरूरी है। सीवी हमेशा एक जैसा होता है। आप किसी भी पॉजिशन के लिए अप्लाय करें, इसमें कोई बदलाव नहीं होगा। अगर आप कुछ बदलाव करना चाहते हैं, कुछ अतिरिक्त कहना चाहते हैं तो कवर लेटर में अपनी इस इच्छा को पूरा करें।
रिज्यूम : रिज्यूम या रिज्यूमे ( résumé ) में आपकी चुनिंदा जानकारी दी जाती है। यह एक पेज से लंबा नहीं होना चाहिए। माना जाता है कि पढ़ने वाला इस पर कम ही समय खर्च करेगा। ऐसे में कम परंतु जरूरी जानकारी ही इसमें भरी जाती है। रिज्यूम का उद्देश्य किसी भी व्यक्ति को कांपिटिशन में आगे करना है।
किसी भी पॉजिशन के अनुसार, रिज्यूम में बदलाव होने चाहिए। आप जिस पोस्ट के लिए अप्लाय कर रहे हैं उससे जुड़ी जानकारी रिज्यूम में भरें। रिज्यूम में चीजों के ऑर्डर में होने की भी बाध्यता नहीं होती। इसमें आपके करियर की हर बात लिखना जरूरी नहीं।
रिज्यूम और सीवी के बीच अंतर
जैसा कि लगभग साफ हो गया है कि रिज्यूम और सीवी के बीच लंबाई, लेआउट और उद्देश्य का अंतर होता है। रिज्यूम में आपकी काबिलियत, अनुभव का कम वर्णन होता है। वहीं सीवी में जानकारी विस्तार से दी जाती है। सीवी की लंबाई अधिक होती है और इसमें पोस्ट के हिसाब से बदलाव नहीं किया जाता। इसके साथ कवर लेटर का उपयोग किया जाता है।