नई दिल्ली : मेफेड्रोन ड्रग को कोड नाम के तहत ‘म्याऊं-म्याऊं’ कहा जाता है। मेफेड्रोन कोई दवा नहीं, बल्कि पौधों के लिए बनी सिथेंटिक खाद है, लेकिन इसका सेवन करने से हेरोइन और कोकीन से भी ज्यादा नशा होता है। दोनों की तुलना में यह ड्रग बहुत ही सस्ता है और एनडीपीएस कानून में प्रतिबंधित भी नही है। इसलिए इसके कारोबारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं हो पा रही है। पिछले कुछ वर्षों में नशे के सौदागरों ने शहर के युवाओं को एमडी ड्रग के जाल में इस कदर जकड़ लिया है कि बड़ी संख्या में युवा नशेड़ी बनते जा रहे हैं।
सोशल नेटवर्क का लेते हैं सहारा
नशे के कारोबारियों ने इसकी खपत के लिए कॉलेजी छात्र-छात्राओं तथा पार्टी में जाने वाले युवाओं को निशाना बनाया है। ‘म्याऊं-म्याऊं’ के सौदागर फेसबुक प्रोफाइल पर ऐसे युवाओं को तलाशते हैं, जो पार्टी या क्लब में जाना पसंद करते हैं। उन्हें फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजकर पहले दोस्ती गांठते हैं, फिर धीरे-धारे पहचान बढ़ाकर उन्हें एमडी ड्रग की तरफ आकर्षित करते हैं।
क्या है इस ड्रग के दुष्प्रभाव?
दूसरी ड्रग्स की तरह ही मिफीड्रोन से भूख, मांसपेशियों में खिंचाव, शरीर कांपना, सिरदर्द, घबराट, हाई बल्ड प्रेशर, पेशाब में कठिनाई, शरीर के तापमान में बदलाव और हाथ नील पड़ने जैसे दुष्प्रभाव होते हैं। लत लगने के बाद इसे बार-बार और ज्यादा से ज्यादा मात्रा में लेने की इच्छा होती है। जब लोग इसे ज्यादा मात्रा में लेना शुरू कर देते हैं तो वह डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं, इसके साथ ही उन्हें जॉम्बी की तरह अनुभव होता है। वहीं कुछ इसे लेकर आक्रामक हो उठते हैं, यह पुलिस के लिए कानून व्यवस्था बनाए रखने में बड़ी बाधक हो जाती है।