आप जब किसी खाद्य पदार्थ का पैकेट खरीदते हैं तो शायद ही उसे बनाने में इस्तेमाल किए गए इनग्रेडिएंट यानी सामग्री की जानकारी देखते हों. हालांकि यह नियम है कि कंपनी को उस पदार्थ को बनाने में यूज की गई सभी जानकारी देनी होगी. कई कंपनियां ऐसा करती भी हैं, लेकिन कुछ मामलों में ऐसा नहीं होता. खासकर बात जब मांसाहारी पदार्थ की हो. इस संबंध में एक याचिका कोर्ट में डाली गई थी. इस पर सुनवाई के दौरान एफएसएसएआई (FSSAI) ने स्पष्ट किया है कि मात्रा चाहे जितनी भी हो, भोजन पर शाकाहारी या मांसाहारी का लेबल जरूर होना चाहिए.
एक कलर कोड और सिंबल से बताना जरूरी
दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान खाद्य नियामक एफएसएसएआई ने अदालत को बताया कि खाद्य पदार्थ में उपयोग किए गए घटक का प्रतिशत चाहे जितना भी हो, मांसाहारी भोजन के प्रत्येक पैकेज पर इस बारे में बताने वाला एक प्रतीक और रंग कोड होना चाहिए. खाद्य उत्पादों पर लेबल लगाने से संबंधित एक याचिका के जवाब में भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने बताया कि उसने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के खाद्य सुरक्षा आयुक्तों और केंद्रीय लाइसेंसिंग प्राधिकरणों को इस संबंध में अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए आदेश जारी किए हैं.
अधिसूचना भी हो चुकी है जारी
नियामक संस्था ने अदालत को बताया कि, इस बारे में एक अधिसूचना भी जारी की गई थी और इसे देशभर के 68 समाचार पत्रों में 26 भाषाओं में प्रकाशित भी किया गया था, ताकि सभी लोगों को इस बारे में जानकारी मिल सके. FSSAI ने कहा कि, शाकाहारी या मांसाहारी की घोषणा के संबंध में 5 अप्रैल 2022 को एक आदेश भी पारित किया गया था. इसके बाद सभी जिम्मेदार अधिकारियों को इसका पालन कराने के आदेश भी दिए गए थे.