नई दिल्ली : अगर सोशल मीडिया हमारी मदद कर सकती है तो मुसीबतें भी बढ़ा सकती हैं, यह बात सरकार को गुरुवार को पता चली। उस दिन व्हाट्सएप्प पर एक मैसेज फैलने लग गया। यह था कि केन्द्र सरकार के कर्मचारियों की रियाटरमेंट की उम्र 60 से घटाकर 58 की जा रही है। यह आग की तरह फैल गया और कर्मचारी, अधिकारी चौकन्ने हो गए।
इसमें कार्मिक मंत्रालय के संसद में दिए गए एक जवाब का उल्लेख था जिसमें कहा गया था कि सरकार फरवरी-मार्च में एक विधेयक लाएगी जिससे रिटायरमेंट की उम्र घटाकर 58 साल कर दी जाएगी। इसकी इतनी चर्चा हुई कि सरकार को संसद में जवाब देना पड़ा कि यह गलत है। गुरुवार की दोपहर वेंकैया नायडू ने संसद में कहा कि ऐसा कोई विचार नहीं है। उन्होंने सरकार की ओर से स्पष्टीकरण ट्वीट भी किया। उनके बाद कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने भी इसका खंडन किया। उन्होंने भी संसद में कहा कि रिटायरमेंट की उम्र घटाने का कोई इरादा नहीं है।
दूरदर्शन पर भी इसे बताया गया और शाम को प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो ने भी इसका खंडन करते हुए रिलीज भेजे। सरकार ने साफ तौर पर मना किया कि ऐसा कोई विचार नहीं है। अब सरकार खोज कर रही है कि मैसेज भेजने की शुरुआत कहां से हुई है। वह जांच कराने जा रही है कि किस व्यक्ति ने इसे सबसे पहले भेजा था।
दरअसल, यह खबर इतनी तेजी से फैली कि कुछ टीवी चैनलों ने भी इसे प्रसारित कर दिया था। सरकार कह रही है कि यह उसे बदनाम करने के लिए जानबूझकर भेजा गया मैसेज था।