नई दिल्ली : आयुष्मान भारत योजना के तहत वर्ष 2018 से 2021 के बीच हेमोडायलिसिस, सिजेरियन डिलीवरी और मोतियाबिंद के रोगियों को सबसे ज्यादा सुविधाएं मिलीं। इसके अलावा, दो अन्य रोगी भी शामिल हैं। आरटीआई के तहत मांगे जाने पर यह जानकारी दी गई है।
प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना का उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम मुहैया कराना है।
18 अगस्त को सामाजिक कार्यकर्ता विवेक पांडेय द्वारा आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी के जवाब में दी गई जानकारी के मुताबिक, हेमोडायलिसिस, सिजेरियन डिलीवरी, मोतियाबिंद, टाइफाइड फीवर और एक्यूट फेब्रील इलनेस के रोगी लाभान्वित हुए।
दरअसल, इस योजना के अंतर्गत आने वाले प्रत्येक परिवार को 5 लाख रुपये तक का कैशरहित स्वास्थ्य बीमा उपलब्ध कराया जा रहा है।
आरटीआई के अनुसार, आयुष्मान भारत योजना के तहत कुल 16.3 करोड़ लोगों ने इस योजना में खुद को पंजीकृत करा चुके हैं, इनमें 4.48 करोड़ असम, कर्नाटक, तमिलनाडु में कार्ड जारी हुए हैं।
हालांकि राजस्थान और आंध्रप्रदेश में कितने जारी हुए इसका डेटा नेशनल हेल्थ ऑथोरिटी के पास नहीं है।
वहीं आरटीआई में इस बात का भी पता चला कि कुल 14.85 करोड़ मरीजों ने 2018 से 2021 तक इस कार्ड के तहत लाभ उठाया है।
साथ ही कुल 2.004 करोड़ लाभर्ति इस योजना के तहत अस्पतालों में भर्ती हुए हैं। योजना से जुड़े अस्पतालों को अब तक 13 हजार 797 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं।
इस योजना का लाभ लेने के लिए परिवार के आकार या उम्र की कोई सीमा तय नहीं की गई है, योजना के लाभ पूरे देश में कहीं भी लागू करे जा सकते हैं।
इस योजना के अंतर्गत आने वाले लाभार्थी को देशभर के किसी भी सार्वजनिक या निजी अंतर्गत अस्पताल से कैशलेस (बिना पैसे दिए) लाभ लेने की अनुमति होगी।
दरअसल, मरीज को अस्पताल में भर्ती होने के बाद अपने बीमा दस्तावेज देने होंगे। इसके आधार पर अस्पताल इलाज के खर्च के बारे में बीमा कंपनी को सूचित कर देगा और बीमित व्यक्ति के दस्तावेजों की पुष्टि होते ही इलाज बिना पैसे दिए हो सकेगा।
इस योजना के तहत बीमित व्यक्ति सिर्फ सरकारी ही नहीं, बल्कि निजी अस्पतालों में भी अपना इलाज करवा सकेगा।