नई दिल्ली : सन् 2000 में ये अनुमान लगाया गया था कि 2010 के बाद दुनियां में बेशुमार प्रगति होगी, और आर्थिक स्तर भी ऊँचा होगा। इसी के आधार पर 2020, 2030 और 2050 के तामाम सपने संजो लिए गए। लेकिन इन सभी के बीच किसी ने शायद दुनियां के उस तबके के बारे में नहीं सोचा, जहाँ फटे-टूटे फूस के आंगन में भूख, भुखमरी और भिखारी एक साथ जन्म लेते हैं।
अर्थशास्त्री चाहें कुछ भी कहें, लेकिन उनके खोखले सिद्धान्त जब इन कमज़ोर झोपडि़यों से टकराते हैं तो उनके बड़े-बड़े दावें खोखले नज़र आते हैं।
दुनिया के देशों के बीच भारत की छवि एक ऐसे मुल्कि की है, जिसकी अर्थव्य़वस्थाे तेजी से बढ़ रही है। लेकिन तेजी से बढ़ती अर्थव्योवस्थात वाले इस देश की एक सच्चाकई यह है कि यहां के बच्चेय भुखमरी के शिकार हैं।
इसे के मद्दे नज़र 12 अक्टूलबर को जारी की गई ग्लो बल हंगर इंडेक्से (जीएचआई) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया में भुखमरी से प्रभावित देशों की संख्याे 118 है और भारत का नाम इसमें97वें नंबर पर है।
जीएचआई अपनी रिपोर्ट बनाने के लिए बहुआयामी पैमानों पर सूचनाओं को एकत्रित करता है और गहन विश्ले षण के बाद इसे जारी किया जाता है। ताजा रिपोर्ट परेशान करने वाली इसलिए भी है क्योंतकि भारत का स्था न सीरियस सेक्शसन में है। यानी भुखमरी के बदतर हालात।
एक ऐसा देश जो अगले एक दशक में दुनिया के सर्वाधिक प्रभावशाली व ख्याोत मुल्कोंक में सूची में शामिल हो सकता है, वहां से ऐसे आंकड़े सामने आना, बेहद चिंतनीय माना जा रहा है।
ऐसा नहीं है कि भुखमरी और कुपोषण से केवल भारत ही पीड़ित है, बल्कि हमारा परमाणु प्रतिद्वंद्वी पड़ोसी देश पाकिस्ता न के हालात तो हमसे भी बदतर हैं। पाकिस्ताजन को इस सूची में 107वां स्थादन मिला है, जो वहां की आवाम और नेताओं की पेशानी पर बल लाने के लिए काफी है।
सबसे ज्या दा आबादी वाला देश चीन भी इस सूची से स्वायं को बचा नहीं पाया है। चीन को ग्लोसबल हंगर इंडेक्स की लिस्टज में 20वें नंबर पर रखा गया है। केंद्रीय अफ्रीकी गणराज्यप, चैड, जाम्बिया और अर्जेंटीना का नाम भी भुखमरी की इस लिस्ट में शामिल है।
भारत के दूसरे पड़ोसी देशों की हालात ज्या दा अच्छीं है क्योंरकि इंडेक्स में उनके नाम भारत से पहले हैं। हमारा पड़ोसी देश नेपाल 72वें नंबर है जबकि म्यांमार 75वें, श्रीलंका 84वें और बांग्लादेश 90वें स्थान पर है।
क्या है ग्लोबल हंगर इंडेक्स
इस इंडेक्सल रिपोर्ट में बताया जाता है कि दुनिया के अलग-अलग देशों में वहां के नागरिकों को खाने-पीने की सामग्री कितनी और कैसी मिलती है। ‘ग्लोबल हंगर इंडेक्स’ हर साल ताजा आंकड़ों के साथ जारी किया जाता है। इसमें विश्व भर में भूख के खिलाफ चल रहे अभियान की उपलब्धियों और नाकामियों को दर्शाया जाता है।
इस तरह के सर्वेक्षण की शुरुआत इंटरनेशनल फ़ूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट ने की और वेल्ट हंगरलाइफ नामक एक जर्मन स्वयंसेवी संस्थान ने इसे सबसे पहले वर्ष 2006 में जारी किया था। वर्ष 2007 से इस अभियान में आयरलैंड का भी एक स्वयमसेवी संगठन शामिल हो गया।
लब्बोलुआब ये है
जिस देश का नाम ‘ग्लोबल इंडेक्स स्कोर’ में ज्याजदा है उस देश में भूख की समस्या उतनी ही अधिक होती है। लेकिन जिस देश का स्कोुर कम है, वहां की स्थिति कमोबेश बेहतर मानी जाती है।
उदाहरण के लिए दक्षिण एशिया में नेपाल को 72वां नंबर मिला है, जबकि भारत को 97वां। तो इसका मतलब हुआ कि भारत की स्थिति नेपाल से भी खराब है।