नायडू ने विधानसभा में कहा कि सरकार ने राज्य के मध्य हिस्से में विजयवाड़ा के पास राजधानी विकसित करने का निर्णय लिया है। उन्होंने बताया कि इस बारे में निर्णय 1 सितंबर को राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया।
विपक्षी पार्टियों ने पहले से घोषणा कर रखी है कि यदि मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू उम्मीद के मुताबिक गुंटूर और विजयवाड़ा के बीच के किसी शहर को राजधानी चुनते हैं, तो उनका विरोध जारी रहेगा। पिछले कुछ महीनों में राजधानी बनाए जाने की आशाओं के बीच इस इलाके में ज़मीनों के दाम आसमान छूने लगे हैं।
गौरतलब है कि जून में आंध्र प्रदेश का बंटवारा कर एक नया राज्य तेलंगाना बनाया गया था। व्यवस्था थी कि वर्ष 2024 तक हैदराबाद दोनों राज्यों की राजधानी बनाए रखा जा सकता है, और उसके बाद आईटी हब के रूप में मशहूर हैदराबाद नए राज्य तेलंगाना को सौंप दिया जाएगा।
लगभग एक दशक पहले हैदराबाद को ‘सिलिकॉन वैली’ जैसा बनाने का श्रेय मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को दिया जाता है, और उन्होंने नए राज्य के गठन पर वचनबद्धता जताई थी कि वह सिंगापुर की तर्ज पर एक ‘सुपर कैपिटल’ का निर्माण करेंगे। कई सप्ताह तक वह संकेत देते रहे कि नई राजधानी शक्तिशाली तथा प्रभावी कम्मा समुदाय के इलाके विजयवाड़ा के निकट होगी।
हालांकि केंद्र द्वारा राजधानी के लिए एक उचित शहर की पहचान में सहायता के लिए नियुक्त एक समिति का कहना है कि विजयवाड़ा और गुंटूर के आसपास हज़ारों एकड़ ज़मीन कहीं नहीं है, जिसकी आवश्यकता राजधानी बनाने के लिए होगी। समिति ने चेताया था कि यहां की उपजाऊ कृषिभूमि का अधिग्रहण काफी कठिन और महंगा साबित होगा।
चंद्रबाबू नायडू की इस कथित पसंद का सबसे कड़ा विरोध जगनमोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली वाईएसआर कांग्रेस की ओर से किया गया, जिसका रायलसीमा इलाके में काफी प्रभुत्व है। वाईएसआर कांग्रेस के नेताओं ने आरोप लगाया कि चंद्रबाबू नायडू की तेलुगूदेशम पार्टी के एक सदस्य ने विजयवाड़ा के निकट काफी बड़ी ज़मीन खरीदी हुई है, और वही मुख्यमंत्री को प्रभावित कर रहे हैं। जगनमोहन रेड्डी ने चेतावनी दी थी कि वह मुख्यमंत्री के एकतरफा फैसले को स्वीकार नहीं करेंगे। उनका कहना था कि नई राजधानी को लेकर विधानसभा में बहस और वोटिंग करवाई जाए।
उधर, आंध्र प्रदेश की चंद्रबाबू नायडू सरकार ने राज्य को ‘समृद्ध’ बनाने और वर्ष 2022 तक उसे देश के शीर्ष तीन राज्यों में शुमार करने की अपनी महत्वाकांक्षी योजना का खाका तैयार किया है। आंध्र प्रदेश को ‘हवाई और समुद्री केंद्र’ के रूप में विकसित करने तथा राज्य के आर्थिक विकास में वृद्धि की दिशा में सरकार ने कई कार्यक्रमों को अपने एजेंडे में शामिल किया है।