बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने गुरुवार को मीडिया से कहा है कि पार्टी में कोई नाराज नहीं है और उन्होंने इस बात से भी इनकार किया कि विरोधी खेमे ने कोई शर्तें रखी हैं। खबरें यही है कि पार्टी के सबसे वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की बिना सहमति के बावजूद ही नरेंद्र मोदी के नाम का ऐलान होगा। सूत्रों के मुताबिक़ नरेंद्र मोदी इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद नहीं रहेंगे। दरअसल, पार्टी आडवाणी के रवैये को लेकर विवाद से बचना चाहती है।
गौरतलब है कि बुधवार को राजनाथ ने आडवाणी से मुलाकात करके उन्हें मनाने की कोशिश की, लेकिन वह अपने प्रयास में सफल नहीं हो पाए। पार्टी इस बात से भी नाराज है कि मोदी की उम्मीदवारी पर आडवाणी खेमा नई-नई शर्तें रख रहा है। सूत्र बता रहे हैं कि इस बात के आसार बन गए हैं कि गोवा कार्यकारिणी की तर्ज पर ही आडवाणी के बिना इस बार भी मोदी के नाम का ऐलान हो जाएगा।
सूत्रों के मुताबिक नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री पद के एलान को लेकर मोदी विरोधी खेमे ने तीन शर्तें रखी हैं। पहली शर्त ये है कि नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दें। दूसरी शर्त प्रचार समिति के प्रमुख का पद छोड़ें और तीसरी शर्त ये रखी गई है कि आडवाणी के सुझावों पर अमल करना होगा। लेकिन मोदी के करीबियों का कहना है कि वह मुख्यमंत्री का पद नहीं छोड़ेंगे। जहां तक दूसरी शर्त की बात है, आडवाणी का खेमा इलेक्शन कैंपेन कमिटी के लिए सुषमा स्वराज का नाम बढ़ा रहा है, लेकिन इसे भी माने जाने की संभावना नहीं है। अगर मोदी कैंपेन कमिटी के चेयरमैन का पद छोड़ते हैं, तो वह चाहेंगे कि यह अहम पद उनके किसी करीबी के पास रहे। बताया जा रहा है कि वह अरुण जेटली के नाम पर रजामंद हो सकते हैं।
सूत्रों ने बताया है कि बुधवार को राजनाथ सिंह के साथ मीटिंग में आडवाणी ने साफ कर दिया था कि वे संसदीय बोर्ड की बैठक में भी हिस्सा लेंगे और मोदी के नाम पर अपना विरोध दर्ज कराएंगे। आडवाणी का कहना है कि मोदी के नाम का ऐलान भी चुनाव के बाद हो और वे इस पर अब भी कायम हैं। सूत्रों ने बताया है कि आडवाणी की राय को मुरली मनोहर जोशी और सुषमा स्वराज का समर्थन तो हैए लेकिन ये दोनों नेता पार्टी के आखिरी फैसले को मानेगें।