कोई भी मनुष्य पुर्णतः संतुष्ट नहीं होता क्योंकि उसके इच्छाओं और आकांक्षाओं का अंत नहीं है। इच्छाये और आकांक्षाये अलग अलग व्यक्तियों में अलग अलग हो सकती है। शायद पुर्णतः संतुष्ट होना मनुष्य के प्रवृति में शामिल नहीं. जब मनुष्य की कोई एक भी इच्छा पूरी नहीं होती और उसकी पूर्ति में बाधा आती है तो वह तनावग्रस्त हो जाता है। इसी कारण आज पूरा विश्व तनावग्रस्त है। अगर सबसे बड़ी समस्या आज चारों तरफ देखी जा रही है तो वह है तनाव। सभी मान चुके है कि मनुष्य जाति की सबसे बड़ी समस्या आज तनाव है। यही जीवन की कई समस्यायों की जड़ भी होती है। जीवन में सही गलत का चुनाव समय पर न करना तनाव के मुख्य कारणों में से एक है। मन का भटकाव और मस्तिष्क से काम न लेना तनाव की शुरुआत कही जा सकती है। गलत को गलत न मानना भटके रहना। सही को सही मानना फिर भी स्वीकार न करना ऐसी अवस्था पुरे जीवन को तनावग्रस्त बना देती है। कई बार अपने कमियों के कारण तनाव में हमलोग चले जाते है। जिसकी शुरुआत हमारे अन्दर बचपन से ही हो जाती है।
हमारा मस्तिष्क सुबह से लेकर रात तक कुछ न कुछ सोचता ही रहता है। जो बाते हम चाहते है वैसा होता है और उसके विषय में जब हमारा मस्तिष्क सोचता है तो हमारा मन खुश रहता है। लेकिन जैसा हम चाहते है वैसा नहीं होता और उसके विषय में मस्तिष्क सोचता है तो मन दुखी होता है और फिर हम तनावग्रस्त हो जाते है। ज्यादातर हमलोग के सोचे हुए काम नहीं होते इसलिए हम लोग उदास रहते है तनाव में रहते है। हम लोगों से भी ज्यादा बच्चे उदास और तनाव में रहते है। इसका कारण यह है कि हम लोग ज्यादातर वैसे कामों के लिए सोचते है जिसका आधार हम जानते है और वह हमारे पास होता है। मतलब अक्सर हम वैसा ही सोचते है जो हम कर सकते है. लेकिन बच्चे अपने आधार को नहीं जानते बस वो सोच लेते है। बिना ये जाने समझे कि वो काम वे कर भी सकते है या नहीं और फिर न होने के कारण तनाव में चले जाते है। बच्चे तनाव में है, कितने है ये हम लोग कभी जान भी नहीं पाते। क्यूंकि हम यह नहीं समझ पाते कि तनाव में रहने पर बच्चे हमारे जैसे शांत नहीं बल्कि अशांत और चंचल भी हो जाते है। इसे ऐसे समझे कि बड़े जब तनाव में रहते है तो वे घूमते है, मंदिर जाते है, फिल्म देखते है, दोस्तों के बिच जाते है और कई चीजों का सहारा लेते है। अपने को तनाव की बातों से दूर रखने के लिए ताकि उनका मन शांत हो जाये। लेकिन बच्चे बड़ो जैसा नहीं कर सकते उनके पास सिमित साधन और तरीके होते है। वे खेल सकते है, चिल्ला सकते है, कई तरह कि हरकते कर सकते है, टीवी में कार्टून देख सकते है। इन चीजों से उनका ध्यान तनाव की बातों से हटता है। बच्चों के ऐसा करने पर हम कभी सोच भी नहीं पाते कि वो तनाव में है। हम उन्हें शरारती मस्ती करने वाले समझते है। जीन चीजों से बच्चे अपने मन को शांत हुआ महसूस करते है वे उसी को करते रहना चाहते है। क्योंकि मस्तिष्क जीन कामों से और बातों से शांत होता है उसी ओर हमें ले जाता है। ये स्वभाविक क्रिया है जो अपने आप होती है। हम बड़ो के साथ भी यही होता है।
क्लास में दिए काम को नहीं कर पाना या देर से करना, दूसरों से पीछे रहना, रोज़ रोज़ अपने को हारा हुआ महसूस करना, पढ़ना और फिर भूल जाना, गणित बनाना मगर देर से बनाना, sसाथ ही बार बार गणित में गलती करना, दूसरों की तुलना में अच्छी लिखावट न होना जिसके कारण अक्सर बातें सुनना सर्मिन्दा होना। अच्छे नंबर एक सपना बनकर रह जाना। इस तरह के जीवन वे सालों से जीते आ रहे है। इस कारण बच्चे मान बैठते है कि ये सभी समस्या सदा उनके साथ रहने वाली है और फिर यही सोच सोचकर तनाव में चले जाते है। ये तनाव निरंतर उनके मस्तिस्क में बना रहता है। जिससे किसी भी चीजों में, विषयों में वे सही तरीके से अपना ध्यान नहीं लगा पाते और हर कुछ उनका अधुरा अधुरा सा रहता है। पढ़ाई की बातें हो या व्यवहार की, कमी सभी में दिखाई देती है।
बच्चों में से तनाव उन्हें समझा कर कुछ बता कर दूर नहीं किया जा सकता। क्योंकि जीन कारणों से उनमे तनाव हुआ है। वे कारण जब तक उनमे रहेंगे तनाव भी तब तक उनके अन्दर रहेगा. इसलिए बच्चों के तनाव के मुख्य कारणों को जानना और फिर उसे दूर करना ही एक उपाय है उन्हें तनाव मुक्त करने का। मस्तिस्क का सही दिशा में और तेजी से न चलना, याददास्त की कमी, एकाग्रता की कमी मुख्य समस्या है बच्चों के तनाव का। जब तक इन समस्याओं को ठीक नहीं किया जायेगा बच्चों को तनावमुक्त नहीं किया जा सकता. इन समस्याओं को बहुत हद तक आर्ट ऑफ़ लर्निंग के खास ध्यान योग विधि से ठीक किया जा सकता है। ध्यान योग के खास विधि से बच्चे अपने अन्दर के छिपे गुणों और शक्तियों से परिचित होते है जिन्हें वे समान्य जिन्दगी में खुली आँखों से देख एवं महसूस नहीं कर पाते। जब वे अपने गुणों और शक्तियों से परिचित हो जाते है तो फिर जीवन में उन गुणों और शक्तियों का उपयोग भी करने लगते है। इससे उनमें याददास्त, एकाग्रता, सोचने समझने की शक्ति, निरंतर किसी विषय में सोचने कि शक्ति, अपने मन पर काबु रखने कि क्षमता जैसे गुणों की बढ़ोतरी होती है। इन सबसे उनके अन्दर किसी भी कार्य को करने कि क्षमता अविश्वसनीय रूप से बढ़ जाती है। जिसका परिणाम उनके जीवन में सब कुछ पहले से बेहतर दीखता है। वे अपने पहले की स्थिति और आज की स्थिति की तुलना कर कुछ हद तक तनावमुक्त होते है और फिर वे जीवन के मुख्य लक्ष्यों की ओर अग्रसर दिखते है।