बीते दिन यानी 21 जून को पूरे विश्व ने मिलकर अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को धूमधाम से मनाया। इस अवसर पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति भवन में, प्रधानमंत्री श्री मोदी ने रांची के प्रभात तारा मैदान में, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने लाल किले में, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जनपथ में और योगगुरु बाबा रामदेव तथा महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने नांदेड़ में हजारों लोगों के साथ मिलकर योग किया। इसके अलावा पूरी दुनिया में लाखों स्थानों पर करोड़ों लोगों ने एक साथ योग करके इस महत्वपूर्ण दिवस को मनाया। इस मौके पर सभी लोगों तक योग को पहुंचाने और उनके जीवन में इसे अपनाने का संदेश भी दिया गया। दुनिया भर की मीडिया में इसकी चर्चा हुई और इस पर लेख लिखे गए।
बेहतरीन पाँच साल
यह पांचवा अंतरराष्ट्रीय योग दिवस था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में सत्ता में आने के बाद संयुक्त राष्ट्र संघ में 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने का प्रस्ताव दिया। जिसे सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया। पहला अंतराष्ट्रीय योग दिवस 2015 में मनाया गया उस वर्ष की थीम थी ‘सद्भाव और शांति के लिए योग’। 2016 में ‘युवाओं को कनेक्ट करने कर लिए योग’ किया गया। 2017 में स्वास्थ्य की थीम रखी गई और 2018 में ‘शांति के लिए योग’ की जरूरत बताई गयी। इस बार की थीम थी ‘योगा फॉर हार्ट’।
पूरी दुनिया को जोड़ रहा है योग
आज योग पूरी दुनिया को जोड़ने का बहुत महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है क्योंकि सभी लोग इसे अपना रहे हैं। इसमें आयु, रंग, नस्ल, जाति, मत, पंथ, संप्रदाय, धर्म, भाषा और राष्ट्र की सीमाएं आड़े नहीं आती हैं। यह ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के भारतीय परंपरा के सिद्धांत को मूर्त रूप प्रदान कर रहा है। आज जब पूरी दुनिया एक साथ योग करती है तो यह एक भारतीय के लिए गर्व करने का अवसर होता है।
योग एक फायदे अनेक
एक पुरानी कहावत है ‘पहला सुख निरोगी काया’ इस लक्ष्य को पूरा करने में योग बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। योग शरीर, मन और आत्मा तीनों को संतुलित रखता है। योग तन को चुस्त और मन को दुरुस्त रखता है। स्वस्थ शरीर, संतुलित मन और प्राणियों में एकता के भाव को बढ़ाने के लिए योग बहुत उपयोगी हो सकता है। योग स्वास्थ्य, खुशी और समरसता का पोषक है। योग एक जीवन शैली है। योग मानव की ईश्वर से एकता स्थापित करने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह मनुष्य के शारीरिक, मानसिक और आत्मिक संतुलन के लिए बहुत उपयोगी है। योग मानव शरीर व मस्तिष्क के विकास की असीम संभावनाओं का द्वार खोल सकता है।
जन जन तक ले जाना होगा अपनी इस विरासत को
पूरे विश्व को आयुष्मान बनाने में योग की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। आज 21वीं सदी की तनाव भरी जिंदगी में किसी के पास समय नहीं है। पूरा विश्व जीवनशैली से संबंधित बीमारियों से ग्रसित है। ऐसे में स्वस्थ जीवन जीने के लिए योग बहुत कारगर और उपयोगी सिद्ध हो सकता है। इसी कारण पूरी दुनिया बड़ी उम्मीद से योग की ओर देख रही है। योग भारत की अमूर्त ऐतिहासिक विरासत है। पतंजलि ने 2000 वर्ष पूर्व योगसूत्र की रचना की थी। हिंदू, जैन और बौद्ध धर्म में योग का बहुत महत्वपूर्ण स्थान व महत्व है। यह हमारी ऐतिहासिक विरासत है जिसे हम दुनिया के समक्ष ले जाकर मानवता की बहुत बड़ा सेवा कर सकते हैं। हमें इस पर और भी शोध करने की आवश्यकता है। तमाम ऋषि मनीषियों ने हजारों वर्षों तक कड़ी साधना करके इस विधा को बचाए रखा। अब हमें इसे और आगे ले जाने की आवश्यकता है। इसे जन-जन तक पहुंचाने में भारतीयों को अग्रणी भूमिका निभानी होगी। हमें दुनिया के हर एक व्यक्ति को स्वस्थ रखने के लिए इस बहुत ही उपयोगी और सस्ते तरीके से लोगों को जोड़ना होगा। यह भारतीय परंपरा के लिए भी गौरव की बात होगी और तभी हमारा ‘सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे संतु निरामया’ का स्वप्न साकार होगा। स्वस्थ विश्व के निर्माण हेतु इसे जनांदोलन बनाना होगा।
एक बाजार भी बन चुका है योग
योग आज एक बहुत बड़े बाजार के रूप में विकसित हो चुका है। शहरों में लोग योगा सेंटर्स में जा रहे हैं और योग कर रहे हैं। विद्यालयों के पाठ्यक्रमों में योग को शामिल किया जा रहा है। मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ आध्यात्मिक शांति के लिए भी तमाम संस्थाएं कार्यरत हैं। योग शिक्षकों और प्रशिक्षकों के लिए इसने रोजगार के तमाम मौके प्रदान किए हैं। इससे जुड़े सामानों की बाजार में बहुत मांग है। इससे संबंधित साहित्य और अन्य सामग्रियों के पाठकों की संख्या आज पिछले वर्षों के मुकाबले बहुत बढ़ चुकी है। योग से संबंधित कार्यक्रमों के प्रसारण की बाढ़ आ चुकी है। योग आर्थिक रूप से भी भारत के लिए बहुत लाभदायक हो सकता है। आज यह पर्यटन को भी बढ़ावा दे रहा है। भारत को एक सॉफ्ट पावर के रूप में स्थापित करने में भी यह बहुत ही अच्छी भूमिका निभा सकता है। हमें इस अवसर को अपने हाथ से नहीं जाने देना चाहिए।