रात करीब दो बजकर पैतालीस मिनट पर कुशीनगर एक्सप्रेस कानपुर सेन्ट्रल के प्लेटफोर्म नंबर चार पर जैसे ही रुकी वैसे ट्रेन के कोच ए वन में पुलिस अधिकारी चढ़ गएए और उस बोगी में बैठे गोरखपुर के सांसद योगी आदित्य नाथ के पास पहुंचे, और उन्हें स्टेसन पर उतरने को कहा, जिसपर आदित्य नाथ भड़क गए। मगर बड़े अधिकारियों के समझाने और आग्रह करने पर योगी आदित्य नाथ सेन्ट्रल पर उतरने को तैयार हो गए, जिसके बाद योगी आदित्य नाथ को उन्नाव के पक्षी विहार ले जाया गया।
सूत्रों की माने तो योगी आदित्य नाथ झांसी के जिस मंदिर में सावन के आखरी सोमवार को महाजलाभिशेक करने जा रहे थे। वह प्राचीन शिव मंदिर महाकालेश्वर के नाम से जाना जाता है, जिसका निर्माण 13 वीं शताब्दी में गोंसाई ने करवाया था। मगर वक़्त के साथ इस विशालकाय मंदिर पर अतिक्रमण हो चूका है, बस एक मंदिर बचा है जहां भगवान् शिव का अति प्राचीन शिव लिंग रखा है।
झांसी के सबसे प्राचीन शिव मंदिर को अवैध कब्जे से मुक्त कराने के उदेश्य से योगी आदित्यराजए सावन के आखरी सोमवार को उस मंदिर प्रांगन में हजारो साधुओ के साथ भोलेनाथ का जलाभिषेक करने के लिए जा रहे थे। योगी आदित्य नाथ को लेकर पहले ही झांसी प्रशासन ने पहले से ही पुख्ता इंतजाम कर रखा था। दरअसल झांसी प्रशासन का एसा मानना था कि आदित्य नाथ के आने से शहर का माहौल बिगड़ सकता है।
उधर कानपुर के ए डी एम् सिटी अविनाश चन्द्र के मुताबिक़ योगी आदित्य नाथ के झांसी जाने से शहर का माहौल बिगड़ सकता था। एसे में बस यही एक चारा था कि योगी आदित्य नाथ जी को स-सम्मान कानपुर में उतार लिया जाए, और उन्हें गोरखपुर भेज दिया जाय।