नई दिल्ली: शुक्रवार को हरियाणा और महाराष्ट्र में चुनाव की घोषणा होते ही तमाम पार्टियों की सक्रियता बढ़ गई है। भाजपा अध्युक्ष अमित शाह ने पार्टी मुख्यारलय में क्रिकेटर युवराज सिंह से मुलाकात की। बताया जा रहा है कि शाह युवराज को भाजपा में लाएंगे और हरियाणा में उम्मीपदवार बनाएंगे।
हरियाणा और महाराष्ट्रे में 15 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव के तहत वोट डाले जाएंगे। 19 अक्टूबर को वोटों की गिनती की जाएगी और उसी दिन नतीजों का एलान होगा।
महाराष्ट्र में 8.25 करोड़ और हरियाणा में करीब एक करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकते हैं। तारीखों की घोषणा के साथ ही दोनों राज्यों में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई। मुख्य चुनाव आयुक्त वीएस संपत ने चुनाव कार्यक्रम की घोषणा करते हुए कहा कि आदर्श चुनाव आचार संहिता केंद्र सरकार पर हरियाणा और महाराष्ट्र के संदर्भ में लागू होगी। इसका मतलब यह हुआ कि चुनावी प्रक्रिया पूरी होने तक केंद्र सरकार इन दोनों राज्यों के लिए अलग से कोई घोषणा नहीं कर सकती।
हरियाणा में इस बार विधानसभा चुनाव काफी दिलचस्पा होने वाला है। ऐसा इसलिए क्यों कि इस बार कांग्रेस, भाजपा, हरियाणा जनहित कांग्रेस, इंडियन नेशनल लोकदल और बसपा के अलावा कई नई पार्टियां मैदान में होंगी। इनमें कांग्रेस से चार दशक पुराना अपना रिश्ता तोड़ने वाले विनोद शर्मा की जनचेतना पार्टी (जेसीपी) और पूर्व मंत्री गोपाल कांडा की हरियाणा लोकहित पार्टी आदि प्रमुख हैं।
शर्मा और कांडा पिछले महीने से ही पूरे राज्यत में जोर-शोर से रैलियां शुरू कर चुके हैं। इन्होंने कांग्रेस से नाराज कई नेताओं को अपनी-अपनी पार्टी में शामिल किया है। ऐसे में ये सियासी समीकरण को प्रभावित कर सकते हैं। भले ही ये ज्याकदा वोट न बटोर सकें, लेकिन दूसरी पार्टियों का वोट काटकर ये खेल को प्रभावित कर सकती हैं। हालांकि, बड़ी पार्टियों को इस बात से राहत हो सकती है कि आम आदमी पार्टी ने हरियाणा में चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है।
आंकड़ों के हिसाब से देखें तो 2009 के विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर की तीन दर्जन पार्टियों के प्रत्याशी मैदान में थे। माना जा रहा है कि इस बार यह आंकड़ा बढ़ सकता है। मुकाबला इसलिए भी कड़ा हो सकता है कि इस बार कई पार्टियां सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का मूड बना चुकी हैं। राज्यइ की प्रमुख पार्टियों के अलावा गोपाल कांडा जहां सभी सीटों पर लड़ने की बात कह चुके हैं, वहीं बसपा भी 90 सीटों पर लड़ने का मन बना रही है।
गौरतलब है कि, हरियाणा में पिछले 10 साल से कांग्रेस के शासन पर इस बार संकट के बादल मंडरा रहे हैं। एक तरफ जहां मुख्यकमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खिलाफ एंटी इन्केम्बैं सी का फैक्ट र काम कर रहा है वहीं नरेंद्र मोदी का लोकसभा चुनाव वाला जादू यहां चलने की उम्मी द जताई जा रही है। भाजपा ने कांग्रेस को घेरने के लिए खास प्लामन भी बनाया है। वह सभी 90 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस के खिलाफ पिछले 10 साल का रिपोर्ट कार्ड लाने की तैयारी में है, ताकि पार्टी को पीछे धकेला जा सके।
रिपोर्ट कार्ड में कांग्रेस के शासन के दौरान हुए भ्रष्टाचार, भूमि अधिग्रहण में धांधली, नौकरियों में भेदभाव और ईमानदार अफसरों को निशाना बनाने जैसे मुद्दों को शामिल किया जा सकता है। कांग्रेस के लिए जो एक और चीज परेशानी का सबब बन सकती है, वह है हालिया दिनों में उसके कई बड़े नेताओं का पार्टी छोड़ना। इनमें बीरेंद्र सिंह, राव इंद्रजीत सिंह, विनोद शर्मा, पूर्व सांसद अरविंद शर्मा और अवतार सिंह भड़ाना जैसे कई नाम शामिल हैं।
वहीँ राज्य में इस बार भाजपा की स्थिति पिछली बार से काफी मजबूत बताई जा रही है। एक न्यू ज चैनल के सर्वे में तो यह दावा भी किया जा चुका है कि राज्यस में पार्टी को स्पबष्टस बहुमत मिल सकता है। इसके मुताबिक, भाजपा को हरियाणा में 46 सीटें मिल सकती हैं। हालांकि, राज्यष में भाजपा भी कई दिक्क।तों का सामना कर रही है। हरियाणा जनहित कांग्रेस के साथ पिछले तीन साल पहले हुआ उसका गठबंधन हाल में ही टूट चुका है। इसके अलावा पार्टी में टिकट के दावेदारों की तादाद काफी है। हाल में ही जब भाजपा ने राज्ये की 43 सीटों के लिए अपने उम्मीादवारों के नामों की घोषणा की थी तो असंतोष खुलकर सामने आ गया था। महेंद्रगढ़, कैथल, फरीदाबाद, कुरुक्षेत्र और रोहतक आदि जगहों पर कार्यकर्ताओं ने खुलकर अपना विरोध जाहिर किया था।
महाराष्ट्र में चुनाव
महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी गठबंधन बीते 15 सालों से सत्ता में है। राज्य में मुख्य रूप से कांग्रेस-एनसीपी, बीजेपी-शिवसेना और एमएनएस के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है। इस बीच, कांग्रेस और एनसीपी के बीच सीटों का बंटवारा नहीं हो पाया है। दूसरी तरफ, बीजेपी और शिवसेना के बीच भी सीटों और मुख्यमंत्री के दावेदार को लेकर खींचतान चल रही है।